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आनंद मोहन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, पासपोर्ट जब्त करने का आदेश, पुलिस के पास लगानी होगी हाजरी

 

पूर्व सांसद आनंद मोहन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. आनंद मोहन रिहाई के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आनंद मोहन का पासपोर्ट जब्त करने का आदेश दिया है. साथ ही 15 दिन पर स्थानीय थाने में हाजरी लगाने को भी कहा है. कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को जमकर फटकार भी लगाई है.

बता दें कि उमादेवी कृष्णैया ने आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ याचिका दाखिल की है. जिसपर आज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने सुनवाई की. जिसमें उमादेवी कृष्णैया की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धांत लूथरा मौजूद थे. वहीं आनंद मोहन की ओर से वरीय अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी बहस कर रहे थे. वहीं, राज्य सरकार की ओर से वकील रंजीत कुमार मौजूद थे.

सुप्रीम कोर्ट ने आज सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद तत्काल प्रभाव से आऩंद मोहन का पासपोर्ट जब्त करने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आनंद मोहन को स्थानीय पुलिस के पास हर 15 दिन पर हाजिरी लगाने को कहा है. कोर्ट की बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार के रवैये पर गहरी नाराजगी जतायी. दरअसल याचिका दायर करने वाली उमादेवी कृष्णैया ने केंद्र सरकार को भी प्रतिवादी बनाया था. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में कोई जवाब नहीं दिया गया था. कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 27 फरवरी की तारीख तय की गई है.

बता दें कि आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्याकांड के दोषी थे. 1994 में जी. कृष्णैया की हत्या मुजफ्फरपुर में कर दी गयी थी, जब वे पटना से गोपालगंज लौट रहे थे. 2007 में कोर्ट ने आनंद मोहन को इस मामले में फांसी की सजा सुनायी थी, जिसे बाद में उम्र कैद में बदल दिया गया. बिहार सरकार द्वारा बिहार जेल नियमावली में बदलाव किया गया जिससे आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया. 2023 में आनंद मोहन की रिहाई के बाद जी. कृष्णैया की पत्नी उमादेवी कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.