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Bihar Vidhansabha Session 2025: हाईटेक विधानसभा का दावा फुस्स, पहले ही सत्र में खुली खामियों की पोल

 
Bihar Vidhansabha Session 2025: हाईटेक विधानसभा का दावा फुस्स, पहले ही सत्र में खुली खामियों की पोल

Bihar Vidhansabha Session 2025: बिहार विधानसभा को हाईटेक बनाने के लिए करीब 30 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। दावा किया गया था कि 18वीं विधानसभा का सत्र शुरू होते ही पूरा सदन अत्याधुनिक तकनीक से लैस दिखेगा- पेपरलेस कामकाज, सेंसर माइक, डिजिटल डिस्प्ले और टैबलेट आधारित प्रणाली… लेकिन सत्र शुरू होते ही इस “हाइटेक मॉडल” की परतें तेजी से उधड़ने लगीं।

हाईटेक विधानसभा के दावे की हवा निकल गई?

सत्र के तीसरे दिन ही वो हुआ जिसने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए। जैसे ही राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान अभिभाषण देने खड़े हुए, 13 करोड़ रुपये की लागत से लगे नए ऑडियो सिस्टम ने जवाब दे दिया। सेंट्रल हॉल में बैठे विधायकों तक आवाज पहुंची ही नहीं। स्थिति इतनी खराब थी कि राज्यपाल को खुद कहना पड़ा—“हम तेज बोल देते हैं…”

और सबसे बड़ी चूक- राज्यपाल के संबोधन से पहले माइक टेस्ट तक नहीं किया गया था! मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी सिस्टम की खामियों पर नाराज़ होते दिखे और बार-बार व्यवस्था की ओर देखने लगे।

पेपरलेस विधानसभा का सपना भी अधर में

दावा किया गया था कि सदन पूरी तरह डिजिटल होगा। इसके लिए 323 सैमसंग टैबलेट लगाए गए थे। लेकिन पहले तीन दिनों में एक भी टैबलेट ऑन नहीं हो सका।
परिणाम—हर दस्तावेज़, हर नोटिस, हर अभिभाषण… सब कुछ फिर से कागज पर ही चलाया गया।

उधर, हाई स्पीड वाई-फाई और डिजिटल हेडसेट भी शोपीस बनकर रह गए।

ई-विधान और सेंसर माइक भी बेकार

ई-विधान प्रोजेक्ट के तहत लगाए गए सेंसर-आधारित माइक कथित तौर पर स्वतः ऑन-ऑफ होने वाले थे, लेकिन परीक्षण में ही सिस्टम बैठ गया।

सदन में लगे 6 बड़े टीवी स्क्रीन, डिजिटल हेडसेट, और ऑनलाइन वोटिंग डिस्प्ले भी अभी तक सही से सक्रिय नहीं हो पाए हैं।

NeVA (नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन) पर विधायकों को प्रश्न भेजने, नोटिस दाखिल करने जैसी डिजिटल प्रक्रियाएं होनी थीं, लेकिन यह सिस्टम भी पहले सत्र में ही फेल दिखा।

क्या है NeVA?

NeVA, डिजिटल इंडिया मिशन का एक प्रमुख प्रोजेक्ट है, जिसका उद्देश्य देश की सभी विधानसभाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाना है। यह प्लेटफॉर्म विधायकों के प्रश्न, नोटिस, उत्तर और दस्तावेज़—सब कुछ पेपरलेस तरीके से उपलब्ध कराता है।

गुजरात, यूपी, तमिलनाडु, बिहार सहित 19 राज्यों में इसका क्रियान्वयन जारी है, लेकिन बिहार में इसकी शुरुआत ही तकनीकी खामियों से घिर गई है।