Bihar Assembly Session 2025: नरेन्द्र नारायण यादव फिर चमके, लगातार दूसरी बार उपाध्यक्ष बनने की तैयारी
Bihar Assembly Session 2025: बिहार की राजनीति में एक बार फिर नरेन्द्र नारायण यादव का कद और ऊंचा होने जा रहा है। विधानसभा की परंपरा में यह सिर्फ़ एक पद ग्रहण नहीं, बल्कि भरोसे और विश्वसनीयता की नई पुष्टि है। यादव बिहार विधानसभा के 19वें उपाध्यक्ष बनने की दहलीज पर हैं और यह उपलब्धि उन्हें लगातार दूसरी बार मिलने जा रही है।
4 दिसंबर को होगा आधिकारिक एलान
विधानसभा अध्यक्ष प्रेम कुमार ने चुनाव की तारीख 4 दिसंबर तय कर दी है। सदन के भीतर और राजनीतिक गलियारों में पहले से ही माहौल साफ़ है, यादव के नाम पर लगभग एकमत सहमति बन चुकी है। माना जा रहा है कि गुरुवार को उनके चुने जाने का औपचारिक ऐलान हो जाएगा।
उनके दोबारा चुने जाने के पीछे उनकी संतुलित कार्यशैली, सदन संचालन की नफ़ासत, और सुविचारित भाषा की अहम भूमिका मानी जा रही है। विधानसभा के कई वरिष्ठ सदस्य उनकी शांत नेतृत्व शैली को सदन के लिए अनुकूल बताते हैं।
प्रोटेम स्पीकर से उपाध्यक्ष-फिर उसी राह पर
नरेन्द्र नारायण यादव पहले भी सदन में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभा चुके हैं।
• 18वीं विधानसभा में वे प्रोटेम स्पीकर रहे और
• उनके नेतृत्व में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव बेहद सलीके से सम्पन्न हुआ।
इससे पहले 17वीं विधानसभा में, 23 फरवरी 2024 को वे पहली बार उपाध्यक्ष चुने गए थे। अब दोबारा उसी कुर्सी पर उनका बैठना उनके कामकाज की पुष्टि माना जा रहा है।
इतिहास में दूसरी बार-यह उपलब्धि कम नेताओं को मिली है
बिहार की विधानसभा के इतिहास में सिर्फ़ एक नाम शकूर अहमद ऐसा है जिन्होंने दो बार उपाध्यक्ष बनने का गौरव पाया था। उनके बाद अब नरेन्द्र नारायण यादव इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए लगातार दो बार यह पद संभालने वाले दूसरे नेता बनेंगे।
आजादी के बाद इस पद को सबसे पहले देवशरण सिंह ने संभाला था, जो 24 अप्रैल 1946 से 31 मार्च 1952 तक उपाध्यक्ष रहे। इससे भी पहले, स्वतंत्रता संग्राम के दौर में अब्दुल बारी (1937–1939) इस पद पर थे, जिनका कार्यकाल बिहार की गंगा-जमुनी राजनीतिक संस्कृति का प्रतीक माना जाता है।
सियासत का इतिहास भी देता है इशारा
बिहार की विधान परंपरा में राधानंदन झा अकेले ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने उपाध्यक्ष से सीधा अध्यक्ष बनने का सफर तय किया। अब नजरें इस बात पर हैं कि क्या नरेन्द्र नारायण यादव भी भविष्य में इसी दिशा में कदम बढ़ाएंगे या इस पद पर ही नई मिसाल कायम करेंगे।
यादव की राजनीतिक पहचान-तक़रीर कम, तहज़ीब ज़्यादा
सदन में नरेन्द्र नारायण यादव की पहचान शोर-शराबे से दूर, संतुलन और मर्यादा की राजनीति करने वाले नेता के रूप में है। वे कम बोलते हैं, लेकिन हर बार नफासत भरी भाषा और विधायी समझ के साथ बोलते हैं। शायद यही वजह है कि उन्हें एक बार फिर इस संवैधानिक पद के लिए चुना जा रहा है।







