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Bihar Assembly Session: अभिभाषण पर चर्चा के बीच तीखी राजनीति, तंज़, टकराव और उबाल

 
Bihar Assembly Session: अभिभाषण पर चर्चा के बीच तीखी राजनीति, तंज़, टकराव और उबाल

Bihar Vidhansabha Session: बिहार विधानसभा में आज का दिन सियासी गर्माहट, तीखे तेवर और तल्ख़ जुबान का संगम साबित हुआ। राज्यपाल के अभिभाषण पर चल रही चर्चा के दौरान राजद विधायक कुमार सर्वजीत ने सरकार के बुलडोज़र एक्शन को सीधे निशाने पर लेते हुए कहा कि यह कार्रवाई विकास का आईना नहीं बल्कि गरीबों पर ढाए जा रहे नए ज़ुल्म की कहानी है। उनका आरोप था कि सरकार व्यवस्था सुधारने के बजाय समाज के सबसे कमज़ोर वर्ग को डराने-धमकाने में ज्यादा व्यस्त है, जबकि उनकी पुकार सत्ता तक पहुँचते-पहुँचते दबा दी जाती है।

स्पीकर को बधाई, लेकिन नीतीश कुमार पर तंज़

बहस आगे बढ़ी तो सर्वजीत ने स्पीकर प्रेम कुमार को 56 साल बाद गया से एक अतिपिछड़े समाज के व्यक्ति के सदन का अध्यक्ष बनने पर बधाई दी। मगर तुरंत ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर निशाना साधते हुए कहा-“हम हाथ इसलिए नहीं उठाए महोदय, क्योंकि मुख्यमंत्री जी की बात हमेशा दुविधा वाली रहती है। महागठबंधन में थे तो कहते थे BJP संविधान खत्म कर देगी, और अब NDA में आकर कहते हैं हाथ उठाइए। आखिर मानें कौन-सी बात?”
इस बयान ने सत्ता पक्ष की बेंचों पर बेचैनी बढ़ा दी।

विपक्ष की चेतावनी—‘सड़क सूनी नहीं होने देंगे’

सर्वजीत ने कहा कि प्रचंड बहुमत का मतलब यह नहीं कि विपक्ष की आवाज़ को कुचल दिया जाए। उनका सीधा संदेश था- “जब सड़क सूनी होती है तो सरकार बेलगाम हो जाती है। जब तक हम विपक्ष में हैं, सड़क सूनी नहीं होने देंगे।”

‘दलित मोहल्ला’ वाली टिप्पणी से सदन में हंगामा

वास्तविक टकराव तब हुआ जब सर्वजीत ने गया के सरकारी अस्पताल की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा- “अस्पताल की हालत देखकर ऐसा लगता है जैसे दलितों के मोहल्ले में आ गए हों।”

इस बयान के साथ ही सदन में सत्ता पक्ष और दलित समुदाय के विधायकों ने जोरदार आपत्ति जताई। बयान को भेदभावपूर्ण, अपमानजनक और गैर-जिम्मेदार बताया गया और सदन में जोरदार हंगामा शुरू हो गया।

स्पीकर का सख्त हस्तक्षेप

स्पीकर प्रेम कुमार ने मामले को शांत कराने की कोशिश करते हुए कहा कि वे हाल ही में घायल विधायक दीपा मांझी को देखने उस अस्पताल गए थे और हालात पहले से बेहतर हैं। उन्होंने सर्वजीत को दो टूक में कहा-“एक बार फिर अस्पताल जाकर स्थिति देखिए और तब सदन को सच्चाई बताइए। भाषा में तहज़ीब और सामाजिक संवेदनशीलता जरूरी है, क्योंकि यहां कहा गया हर शब्द जनता तक सीधा पहुँचता है।”

आज का सत्र साबित हुआ—बिहार की राजनीति में सबकुछ है: तंज़ भी, तल्ख़ी भी

आज की बहस ने एक बार फिर दिखा दिया कि बिहार की राजनीति में तंज़ भी है, तीख़ापन भी, और हर मुद्दे पर तकरार भी। विधानसभा का हर सत्र एक नए राजनीतिक रंग में रंगा मिलता है, और आज का दिन उसी रंगीन कभी गरम, कभी कड़वा सियासी मंजर का साक्षी बना।