बिहार BJP चीफ दिलीप जायसवाल को मिली Y+ सिक्योरिटी, IB रिपोर्ट के बाद गृह मंत्रालय का फैसला
बिहार (Bihar) में भारतीय जनता पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को गृह मंत्रालय की तरफ से VIP सुरक्षा मिली है. केंद्र सरकार ने बीजेपी नेता को Y+ सिक्योरिटी मुहैया करवाई है. अब, CRPF के जवान उनकी सुरक्षा में काम करेंगे. बता दें कि दिलीप जायसवाल को इंटेलिजेंस ब्यूरो की थ्रेट रिपोर्ट के आधार पर गृह मंत्रालय ने सुरक्षा दी है.
पिछले दिनों बिहार बीजेपी के संगठन में बड़ा बदलाव हुआ. पार्टी ने दिलीप जायसवाल (60) को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. इससे पहले सूबे की कमान डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी संभाल रहे थे. दिलीप जायसवाल मूल रूप से खगड़िया जिले के रहने वाले हैं. उनकी सीमांचल इलाके में अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है. वे पूर्णिया, अररिया और किशनगंज क्षेत्र से तीन बार के एमएलएसी हैं. जायसवाल 20 साल तक बीजेपी के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं.
इससे पहले सम्राट चौधरी 16 महीने तक प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं. उनके नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा गया और जनवरी 2024 में राज्य की सत्ता में भी परिवर्तन हुआ है. चौधरी को नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम बनाया गया है. सम्राट से पहले संजय जायसवाल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे.
दिलीप जायसवाल कलवार जाति से ताल्लुक रखते हैं. माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने राज्य के सबसे बड़े वर्ग को साधने के लिए अभी से रणनीति बनानी शुरू कर दी है. यही वजह है कि बीजेपी ने 16 महीने बाद एक बार फिर अत्यंत पिछड़े वर्ग के बड़े चेहरे माने जाने वाले दिलीप पर दांव लगाया है. इसके साथ ही पार्टी ने अपने कोर वोटर्स का भी ख्याल रखा है. बिहार में सबसे ज्यादा 36 फीसदी अति पिछड़ा वर्ग से जुड़ी आबादी है. राज्य में 27.12 फीसदी पिछड़ा वर्ग है. अनुसूचित जाति वर्ग 19.65 फीसदी है. सामान्य वर्ग की 15.52 फीसदी आबादी है.
दिलीप जायसवाल की केंद्रीय नेतृत्व से भी खासी नजदीकियां हैं. उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी करीबी माना जाता है. जायसवाल राज्य की एनडीए सरकार में राजस्व मंत्री हैं. वे 2009 में पहली बार एमएलसी बने थे. उसके बाद वे अब तक तीसरी बार विधान परिषद सदस्य चुने गए हैं.
दिलीप जायसवाल के पास अभी राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्रालय है. वे सिक्किम के प्रदेश प्रभारी भी हैं. हालांकि, अब नई जिम्मेदारी के बाद पार्टी अतिरिक्त प्रभार वापस ले सकती है. चूंकि, सत्ता और संगठन के बीच बेहतर तालमेल के लिए पार्टी एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला लागू करती है.