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बिहार चुनाव 2025: महागठबंधन में ‘सीएम फेस’ पर खिंचतान, कांग्रेस के बयान से तेजस्वी को हल्का झटका

 
Tejashwi yadav

Patna: बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर हलचल तेज हो गई है। राजद ने पहले ही साफ कर दिया है कि तेजस्वी यादव ही उनका चेहरा होंगे, लेकिन कांग्रेस के एक ताज़ा बयान ने राजनीतिक माहौल में हल्का-सा कंपन पैदा कर दिया है।

कांग्रेस का दो टूक बयान

बुधवार को सासाराम में पत्रकारों से बात करते हुए बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावारु से जब पूछा गया कि मुख्यमंत्री कौन होगा?”तो उन्होंने जवाब दिया: मुख्यमंत्री बनाने का अधिकार बिहार की जनता और चुने हुए विधायक को है। जो वो चाहेंगे, वही मुख्यमंत्री बनेगा। जनता से पूछिए।

यह बयान महागठबंधन के लिए छोटा लेकिन अहम संकेत माना जा रहा है, क्योंकि राजद लगातार कह रहा है कि सत्ता आने पर तेजस्वी ही मुख्यमंत्री बनेंगे।

बार-बार ‘जनता का फैसला’ वाली लाइन

राजद के नेता हर मंच से तेजस्वी को सीएम उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं, जबकि कांग्रेस बार-बार यह कह रही है कि फैसला जनता करेगी। सियासी विश्लेषकों का मानना है कि यह कांग्रेस का ‘पॉलिटिकल स्पेस’ बढ़ाने और दबाव बनाने का तरीका है, ताकि सत्ता में हिस्सेदारी तय करते समय उसकी भूमिका मजबूत दिखे।

राहुल गांधी की यात्रा बनेगी बड़ा इवेंट

इस बहस के बीच, 17 अगस्त से राहुल गांधी सासाराम से एक बड़ी यात्रा शुरू करेंगे, जो बिहार के 21 जिलों से गुजरेगी। इस यात्रा में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और इंडिया गठबंधन के कई बड़े नेता शामिल होंगे।
मकसद है मतदाता सूची में गड़बड़ियों के खिलाफ आवाज़ उठाना और लोगों को वोट के अधिकार के महत्व से जोड़ना।

बैठक में बनी रणनीति

सासाराम जिला मुख्यालय में हुई बैठक में कृष्णा अल्लावारु, प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेता और पड़ोसी राज्यों के प्रभारी मौजूद रहे। बैठक में संगठन को मजबूत करने, कार्यकर्ताओं की भूमिका तय करने और यात्रा की रणनीति पर लंबी चर्चा हुई।

अल्लावारु ने कहा: अगर संविधान को मजबूत रखना है, तो मतदाता को मजबूत करना होगा। राहुल गांधी जनता की अदालत में जाएंगे।

संदेश साफ, इमेज पर असर

कांग्रेस का यह रुख महागठबंधन में ‘सॉफ्ट पावर गेम’ का संकेत देता है। राजद के लिए यह साफ संदेश है कि सहयोगी दल सिर्फ सपोर्टर बनकर नहीं रहना चाहते।
हालांकि विपक्ष की एकजुटता अभी बरकरार है, लेकिन चुनाव से पहले ऐसे बयान उस इमेज को हल्का धुंधला कर सकते हैं।