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चारा घोटाला के 950 करोड़ वसूलेगी बिहार सरकार, एक्शन मोड में सम्राट चौधरी

 

देश का चर्चित चारा घोटाला की राशि अब तक बिहार सरकार को वापस नहीं मिली. इस घोटाला में 950 करोड़ की राशि का गबन हुआ था. लालू यादव सहित कई लोगों को सजा भी हुई थी, लेकिन अब तक गबन हुई राशि बिहार सरकार को नहीं मिली है. अब इस राशि को लेकर बिहार सरकार गंभीर है.

1996 में पटना हाईकोर्ट के निर्देश के बाद ही सीबीआई ने चारा घोटाला की जांच की थी. पटना हाईकोर्ट ने जांच के निर्देश के साथ घोटाले में गबन की गई राशि भी बिहार सरकार के खजाने में वापस लाने की जिम्मेदारी दी थी, लेकिन उसमें सीबीआई विफल रही. अब बिहार सरकार चुनावी साल में एक बार फिर से 29 साल बाद इस मुद्दे पर गंभीर दिख रही है.

इस दौरान कई बड़े नेता और अफसर जेल गए, सजा पाए, और कुछ जमानत पर हैं। लालू प्रसाद यादव, जो उस समय बिहार के मुख्यमंत्री थे, इस घोटाले के मुख्य आरोपी रहे। उन्हें डोरंडा कोषागार से 139.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में 2022 में पांच साल की सजा हुई थी, हालांकि वे स्वास्थ्य कारणों से जमानत पर हैं। लेकिन राशि वसूली का दूसरा महत्वपूर्ण टास्क अधूरा पड़ा है।

सम्राट चौधरी ने कहा कि सरकार सभी चीजों को देख रही है ताकि गबन हुई राशि बिहार सरकार को वापस मिल जाए. सरकार कोर्ट जाने से लेकर एजेंसियों से संपर्क साध सकती है. इसपर विचार किया जा रहा है." 

चारा घोटाला 1990 के दशक तक चला। इसमें फर्जी पशुओं के नाम पर चारा, दवाइयां और उपकरणों की खरीद दिखाकर सरकारी खजाने से पैसे निकाले गए। 1996 में चाईबासा के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर अमित खरे ने पशुपालन विभाग के दफ्तरों पर छापा मारकर इस घोटाले का खुलासा किया था। घोटाले में बिहार और झारखंड (तब अविभाजित बिहार) के कई जिलों जैसे रांची, चाईबासा, दुमका, गुमला, जमशेदपुर और बांका के कोषागारों से अवैध निकासी की बात सामने आई थी।