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Bihar Political Update: NDA में बड़ा सियासी फेरबदल: 9 विधायकों को राज्यमंत्री का दर्जा, श्रवण कुमार बने मुख्य सचेतक

 
NDA में बड़ा सियासी फेरबदल: 9 विधायकों को राज्यमंत्री का दर्जा, श्रवण कुमार बने मुख्य सचेतक

Bihar political update: बिहार की राजनीति में सोमवार को एक बड़ा प्रशासनिक और सियासी फैसला सामने आया है। एनडीए के 9 विधायकों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है। संसदीय कार्य विभाग ने इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है। इस फैसले के साथ ही सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर संगठनात्मक संतुलन और मजबूती की तस्वीर भी साफ होती नजर आ रही है।

अधिसूचना के अनुसार, ग्रामीण विकास मंत्री और जदयू विधायक श्रवण कुमार को सत्तारूढ़ दल का मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया है। वहीं भाजपा विधायक विनोद नारायण झा को उपमुख्य सचेतक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा एनडीए के 8 विधायकों को सचेतक बनाया गया है, जिन्हें राज्य मंत्री का दर्जा मिलेगा।

सीएम नीतीश की मुहर, विधानसभा अध्यक्ष की स्वीकृति

सूत्रों के अनुसार, इन सभी का मनोनयन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया था, जिसे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. प्रेम कुमार ने औपचारिक स्वीकृति दे दी है। जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि यह मनोनयन 15 दिसंबर से प्रभावी माना जाएगा।

सचेतक के रूप में जिन विधायकों को जिम्मेदारी दी गई है, उनमें कृष्ण कुमार ऋषि, मंजीत कुमार सिंह, राजू तिवारी, सुधांशु शेखर, कुमार शैलेन्द्र, रामविलास कामत, अरुण मांझी और गायत्री देवी शामिल हैं।

किसे मिलेगा क्या दर्जा

नियमों के मुताबिक, मुख्य सचेतक को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाता है, जबकि उपमुख्य सचेतक और सचेतकों को राज्य मंत्री का दर्जा मिलता है। चूंकि श्रवण कुमार पहले से मंत्री हैं, इसलिए उन्हें अलग से अतिरिक्त सुविधाएं नहीं मिलेंगी। वहीं अन्य 9 विधायकों को राज्यमंत्री के रूप में सभी सरकारी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

आप्त सचिव की भी तैनाती

इसी क्रम में सामान्य प्रशासन विभाग ने एक और अधिसूचना जारी की है। इसके तहत लघु जल संसाधन मंत्री और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार सुमन, विधान परिषद में सत्तारूढ़ दल के सचेतक नीरज कुमार और उप नेता प्रो. राजेंद्र प्रसाद गुप्ता के लिए आप्त सचिव (सरकारी) के पद पर बिहार प्रशासनिक सेवा के तीन अधिकारियों की तैनाती की गई है।

राजनीतिक हलकों में इस पूरे घटनाक्रम को एनडीए के भीतर समन्वय मजबूत करने और आगामी सियासी चुनौतियों के लिए संगठन को धार देने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।