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महागठबंधन में बढ़ी दरार! कांग्रेस नेता के बयान से तेजस्वी यादव की बढ़ी मुश्किलें, RJD से गठबंधन पर उठा बड़ा सवाल

 
महागठबंधन में बढ़ी दरार! कांग्रेस नेता के बयान से तेजस्वी यादव की बढ़ी मुश्किलें, RJD से गठबंधन पर उठा बड़ा सवाल

Bihar political update: बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद महागठबंधन के भीतर मंथन थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक ओर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव परिवार के साथ विदेश दौरे पर हैं, तो दूसरी ओर कांग्रेस के भीतर ही राजद को लेकर असंतोष खुलकर सामने आने लगा है। हार के बाद से लगातार कांग्रेस नेताओं की ओर से जिम्मेदारी तय करने की कवायद जारी है और इसका सीधा निशाना राजद और तेजस्वी यादव बनते नजर आ रहे हैं।

इसी बीच कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस विधायक दल के पूर्व नेता शकील अहमद खान ने राजद के साथ गठबंधन को पार्टी के लिए “घाटे का सौदा” करार देते हुए शीर्ष नेतृत्व को इस पर दोबारा विचार करने की सलाह दे डाली है। उनके इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में महागठबंधन की मजबूती को लेकर नए सवाल खड़े हो गए हैं।

गठबंधन पर खुला हमला

शकील अहमद खान का कहना है कि बिहार में महागठबंधन अब केवल नाम मात्र का रह गया है। राजद के साथ रहने से कांग्रेस को न तो चुनावी फायदा मिला और न ही संगठन को मजबूती। उनका आरोप है कि सीट बंटवारे से लेकर चुनावी रणनीति तक में कांग्रेस की भूमिका सीमित कर दी गई, जिससे पार्टी को लगातार नुकसान उठाना पड़ा।

उन्होंने यह भी कहा कि इसका असर जमीनी स्तर पर साफ दिख रहा है। न तो कांग्रेस की सीटें बढ़ीं और न ही वोट शेयर में कोई खास इजाफा हुआ। इससे कार्यकर्ताओं में भ्रम और असंतोष बढ़ा है। उल्लेखनीय है कि शकील अहमद खान खुद इस चुनाव में कदवा विधानसभा सीट से अप्रत्याशित हार का सामना कर चुके हैं।

हार के बाद बढ़ी तल्खी

गौरतलब है कि हालिया विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को बड़ी हार झेलनी पड़ी थी। 243 सीटों में से एनडीए ने 202 सीटों पर जीत दर्ज कर प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई, जबकि महागठबंधन महज 35 सीटों पर सिमट गया। राजद को 25 और कांग्रेस को सिर्फ 6 सीटें मिलीं। हार के बाद दिल्ली में हुई कांग्रेस की बैठकों में भी कई नेताओं ने राजद और तेजस्वी यादव पर ही असफलता का ठीकरा फोड़ा था।

अब शकील अहमद खान के बयान ने इस अंदरूनी खींचतान को सार्वजनिक कर दिया है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि क्या बिहार में महागठबंधन की एकजुटता बरकरार रह पाएगी या आने वाले दिनों में कांग्रेस और राजद के रास्ते अलग होते नजर आएंगे।