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जाति जनगणना के फैसले पर बोले पशुपति कुमार पारस- दलित, पिछडा, सभी लोगों को इससे लाभ मिलेगा, ये स्वागत योग्य...

 

केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि देश में जाति जनगणना कराई जाएगी. कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसके बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई है. कांग्रेस ने जाति जनगणना की जगह जाति सर्वे कराया. कैबिनेट के फैसले के बाद इस पर नेताओं की प्रतिक्रिया आ रही है. बिहार में क्रेडिट लेने की होड़ मची है. इसी क्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने बड़ा बयान दिया है.

पशुपति कुमार पारस ने कहा कि ये स्वागत योग्य है, लेकिन आज से 30-31 वर्ष पूर्व 1996 में जब देवगौड़ा की सरकार थी. उसी समय में ये मांग संसद में उठी थी. उसमें हमारे बड़े भाई रामविलास पासवान, मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव ने मांग की थी कि जातीय जनगणना हो. 2011 में जनगणना हुई. उसके बाद से आज तक नहीं हुई. यह देश के लोगों की पुरानी मांग थी. कैबिनेट के द्वारा जो मंजूरी मिली है ये काफी स्वागत योग्य है. खासकर जो दलित हैं, पिछड़ा हैं, सभी लोगों को इससे लाभ मिलेगा. 

दूसरी ओर केंद्र के जाति जनगणना के फैसले को लेकर पशुपति कुमार पारस ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "भारत सरकार के केंद्रीय कैबिनेट ने देश में मूल जनगणना के साथ जातीय जनगणना कराने का फैसला लिया है. मैं और हमारी पार्टी हमेशा से देश में जातीय जनगणना कराने की पक्षधर रही है, केंद्र का फैसला राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की मांग की जीत है."

दूसरी ओर केंद्र के जाति जनगणना के फैसले को लेकर पशुपति कुमार पारस ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "भारत सरकार के केंद्रीय कैबिनेट ने देश में मूल जनगणना के साथ जातीय जनगणना कराने का फैसला लिया है. मैं और हमारी पार्टी हमेशा से देश में जातीय जनगणना कराने की पक्षधर रही है, केंद्र का फैसला राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की मांग की जीत है."

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी इस पर क्रेडिट ले रहे हैं. केंद्र के इस फैसले पर तेजस्वी का कहना है कि यह समाजवादियों और लालू यादव की जीत है. वे (तेजस्वी) जब बिहार के दल को लेकर पीएम मोदी से मिलने गए थे तब पीएम ने मना कर दिया था. आज समाजवादियों की ताकत देखिए कि इनको हमारे ही एजेंडे पर चलना पड़ रहा है.