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जातीय गणना पर NDA में मतभेद, चिराग की बात से JDU नाराज, RJD ने भी दी नसीहत

 

जातीय गणना को लेकर देश की राजनीति हाल के दिनों में काफी गरम है. इस मुद्दे को लेकर तमाम पार्टियों अगल-अलग नजरिया रखती हैं, तो वहीं एलजेपीआर के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान का कहना है कि जातीय गणना के आंकड़े सरकार सार्वजनिक नहीं करे. चिराग के इस बयान से जेडीयू सहमत नहीं है. जेडीयू ने देश में जातीय गणना कराने की मांग भी की है. जेडीयू कोटे के मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि जेडीयू ही नहीं बल्कि देश के वो तमाम शोषित वंचित, जिन लोगों को सम्मानजनक अधिकार नहीं मिला है, वह सब चाहते हैं कि जातीय गणना हो. 

श्रवण कुमार ने कहा कि जातीय गणना के बाद आंकड़े को भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए. बिना आंकड़े को सार्वजनिक किए काम कैसे चलेगा? जब सब कुछ पारदर्शी तरीके से होगा तो आंकड़े भी जारी होने चाहिए. गरीब शोषित वंचित हाशिये पर खड़े लोग जानना चाहते हैं कि उनकी आबादी कितनी है? राष्ट्रीय स्तर पर जातीय गणना हो और इन कैटेगरी के लोगों के लिए विकास कार्यक्रम बनाया जाए. उनको उनका अधिकार दिया जाए.

सीएम नीतीश ने महागठबंधन सरकार में जातीय गणना कराई. आरक्षण का दायरा बढ़ा. 94 लाख ऐसे परिवार चिन्हित हुए जिनके पास नौकरी नहीं है. तीन साल में इन परिवारों को दो-दो लाख रुपये बिहार सरकार देगी. रोजगार शुरू करने के लिए. देश व राज्यों में जातीय गणना कराकर सरकारों को इस तरह का काम करना चाहिए. आंकड़े भी सिर्फ जारी होने से काम नहीं चलेगा वास्तविक संख्या के आधार पर विकास योजनाएं बनानी होगी. 

वहीं चिराग के बयान पर आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि चिराग कुतर्क दे रहे हैं. जब जातीय गणना के आंकड़े जारी होंगे तब ही विकास कार्यक्रम बनेगा. बिना आंकड़ा जारी किये काम कैसे होगा? आंकड़ों से पता चलेगा कि कौन अंतिम पंक्ति में हैं? तभी पता चलेगा की कौन मजदूरी कर रहे हैं? कौन रिक्शा चला रहा है? देश में जातीय गणना हो और सरकार आंकड़े भी जारी करे. चिराग केंद्र सरकार में हैं. दबाव बनाकर जातीय गणना कराएं. महागठबंधन सरकार में तेजस्वी ने तो बिहार में जातीय गणना करवाई थी. 

बता दें जातीय जनगणना पर एलजेपी (रामविलास) प्रमुख एवं सांसद चिराग ने अपने एक बयान में कहा था कि मैं भी जाति जनगणना का पक्षधर हूं. मैंने हमेशा जाति जनगणना का समर्थन किया है. सब की सहमत से ही बिहार में जाति सर्वे कराया गया था. मैं पूरी तरह से इसके पक्ष में हूं. सरकारों के पास किस जाति की कितनी आबादी है यह आंकड़ा होना चाहिए, लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए. आंकड़े सार्वजनिक नहीं करने कि बात जो चिराग ने कही, इससे उनकी सहयोगी दल जेडीयू भी सहमत नहीं है.