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'रोजगार मतलब नीतीश सरकार' सड़कों पर लगे पोस्टर, रोजगार का क्रेडिट लेने में लगी नीतीश सरकार, तेजस्वी यादव गायब

 

बिहार में महागठबंधन की सरकार में सबकुछ ठीक होने के दावे भले ही JDU और RJD के नेता करें लेकिन हमेशा कुछ ऐसा होता है कि फिर से यह सवाल उठ जाता है. कभी नीतीश और तेजस्वी की दूरी तो कभी आरजेडी के नेताओं के बयान पर जदयू की तल्खी सामने आती है. अब एक विज्ञापन ने खलबली मचा दी है. जदयू में क्रेडिट लेने की होड़ है तो आरजेडी भी अब मौके की तलाश में रहेगी. 

दरअसल, बिहार में बिहार लोक सेवा आयोग की तरफ से आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा के दूसरे चरण में सफल हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र बांटा जाएगा. ऐसे में इस नियुक्ति पत्र वितरण को लेकर राज्य सरकार के तरफ से जो विज्ञापन लगाए गए हैं उसमें जो स्लोगन लिखा गया है वह है - ' रोजगार मतलब नीतीश सरकार' इसके साथ ही सीएम नीतीश की एक बड़ी सी तस्वीर लगाई गई है इसके अलावा किसी अन्य नेता की कोई भी तस्वीर नहीं लगाई गई है.  इसके बाद अब यह कहां जाना शुरू हो गया है कि चाचा ने भतीजे के एजेंडा को हथिया लिया है.

पटना के तमाम चौक- चौराहों पर पोस्टर नजर आ रहे हैं. पोस्टर में सरकार यह बता रही है कि बिहार में रोजगार की बहार है और शिक्षक नियुक्ति में बिहार लगातार इतिहास रच रहा है. वहीं इस पोस्टर से उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर दोनों गायब हैं.

 दिसम्बर 2023 में BPSC से चयनित 1 लाख 23 हजार 108 शिक्षक बहाल हुए.  13 जनवरी 2024 को 94 हजार 52 शिक्षकों को नियुक्ति-पत्र दिया जायेगा. वर्ष 2005 में छात्र-शिक्षक अनुपात 65:1 था, जो अब सुधरकर 35:1 हो गया है. प्रारंभिक विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति में वर्ष 2006 से महिलाओं के लिए 50% आरक्षण का प्रावधान है.

ऐसे में अब इस बात की चर्चा तेज है कि, क्या जो बातें अब तक तेजस्वी यादव के तरफ से कही जा रही थी उसको नीतीश कुमार ने अपने पक्ष में अपना लिया है. क्या नीतीश कुमार ने तेजस्वी के एजेंडे को हथिया लिया है ? क्या तेजस्वी ने पहले कलम से जो नौकरी देने का वायदा किया था उस पर भले वो अभी सोच विचार कर रहे हैं लेकिन नीतीश कुमार ने इस पार बाजी मार लिया है ? क्या नीतिश कुमार ने चुनाव से पहले तेजस्वी यादव को बड़ा गच्चा दे दिया है.

दरअसल, पिछले कुछ दिनों से यह बातें देखने में आ रही है की राज्य के अंदर जितने भी कार्यक्रम हो रहे हैं उसमें नीतीश कुमार सिर्फ और सिर्फ खुद के बारे में लोगों को जानकारी देते हुए नजर आ रहे हैं. ऐसे में सूबे के अंदर जो राजनीतिक माहौल है उसमें यह बातें कुछ नया संकेत देता हुआ नजर आ रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि नीतीश खुल कर भले ही कुछ न बोलते हो लेकिन कोई न कोई नई सियासी खिचड़ी पक रही है.