गया में जदयू की अंदरूनी जंग खुली, प्रदेश सचिव ने जिलाध्यक्ष के खिलाफ खोला मोर्चा, सीएम को लिखा शिकायतों से भरा पत्र
डॉ. चन्दन यादव ने कहा कि 20–25 वर्षों से पार्टी की रीढ़ बने कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया गया है, जबकि हाल ही में पार्टी में आए लोगों को महत्वपूर्ण पद और सम्मान दिए जा रहे हैं। इससे जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है और संगठन कमजोर हो रहा है। उन्होंने साफ कहा कि यह स्थिति यदि बनी रही तो पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
प्रदेश सचिव ने आरोप लगाया कि पार्टी मुख्यालय में बैठे कुछ पदाधिकारी एक साथ कई पदों पर काबिज हैं और अपने चहेतों को ही आगे बढ़ा रहे हैं। हाल में आयोजित एक प्रदेश स्तरीय सम्मान समारोह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कई वरिष्ठ पदाधिकारियों को न तो बुलाया गया और न ही सम्मान दिया गया, जबकि चुनिंदा लोगों को मंच प्रदान किया गया।
गया में हुई कार्यकर्ता सम्मान बैठक पर भी डॉ. यादव ने गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि बैठक पूरी तरह अव्यवस्थित रही, प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों के बैठने तक की समुचित व्यवस्था नहीं थी। पंचायत अध्यक्ष से लेकर प्रखंड स्तर तक की कमेटियों को सूचना नहीं दी गई, जिससे बड़ी संख्या में कार्यकर्ता बैठक से दूर रहे। इस पूरे मामले के लिए उन्होंने सीधे तौर पर जिलाध्यक्ष को जिम्मेदार ठहराया।
मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान दूसरे दलों के लिए काम करने वाले कुछ लोगों को बाद में पार्टी में शामिल कर उन्हें अहम जिम्मेदारियां दे दी गईं, जबकि वर्षों से निष्ठा के साथ काम कर रहे कार्यकर्ताओं की अनदेखी होती रही। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या दशकों तक पार्टी से जुड़े रहना और पद की लालसा न रखना अब अपराध बन गया है।
डॉ. चन्दन यादव ने महिला सम्मान से जुड़े एक गंभीर मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा कि जिलाध्यक्ष के खिलाफ महिला पदाधिकारी की पत्नी सहित कई महिला नेत्रियों ने अपमान के आरोप लगाए हैं, जिसकी शिकायत पार्टी मुख्यालय तक पहुंची, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
प्रदेश सचिव ने मुख्यमंत्री से पूरे मामले में हस्तक्षेप कर संगठन में व्याप्त असंतोष को दूर करने और पुराने, समर्पित कार्यकर्ताओं को न्याय दिलाने की मांग की है। इस खुली बगावत के बाद गया में जदयू के भीतर गुटबाजी और तेज होने के संकेत मिलने लगे हैं।







