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मधुबनी लोकसभा: यादव और ब्राह्मण ने अशोक को बनाया मजबूत, RJD के 'M कार्ड' फातमी बनेंगे चुनौती? समझिए समीकरण

 

 बिहार का मधुबनी लोकसभा सीट को पांचवें चरण में मतदान होना है। वैसे तो मधुबनी की पहचान वहां की रंगबिरंगी पेंटिंग है। उसी तरफ यहाँ की राजनीति में भी रंगबिरंगी है। साल 1976 में पुनर्गठन के बाद जब ये सीट अस्तित्व में आई तभी से कभी कांग्रेस तो सीपीआई के रंग में रंगी रही। लेकिन पिछले तीन लोकसभा चुनाव से भगवा रंग ने अपना परचम बुलंद कर रखा है। मतलब पिछले तीन चुनाव से भाजपा के उम्मीदवार यहां जीतते आ रहे हैं।

मधुबनी का राजनीतिक इतिहास 

मधुबनी लोकसभा क्षेत्र का जो प्रारूप आज है वो 1976 में पुनर्गठन के बाद ही अस्तित्व में आया है। उसके बाद 1977 में यहां पहला लोकसभा चुनाव हुआ। जिसमें जनता दल के टिकट पर हुकुमदेव नारायण यादव ने जीत दर्ज की। लेकिन इसके बाद हुए चुनावों में लगातार हुकुमदेव नारायण यादव की हार होती रही। 1980 के चुनाव से लेकर 1998 के चुनाव तक कभी कांग्रेस तो कभी सीपीआई के खाते में ही ये सीट जमा होती रही। इस बीच हुकुमदेव नारायण यादव जनता पार्टी से होते हुए भारतीय जनता पार्टी में पहुंच चुके थे। करीब 19 साल के लंबे सियासी सुखाड़ के बाद साल 1999 के लोकसभा चुनाव में उन्हें जीत की हरियाली नसीब हुई ।

लेकिन साल 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के डॉ शकील अहमद ने उन्हें हरा दिया। इसके बाद भी भाजपा का भरोसा हुकुमदेव नारायण यादव पर कम नहीं हुआ। जिसका नतीजा ये हुआ कि 2009 और 2014 में फिर से हुकुमदेव नारायण यादव बड़ी जीत दर्ज की। 2019 में हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे अशोक कुमार यादव भाजपा के टिकट जीते और वर्तमान में सांसद हैं। जिन्हें एक बार फिर से भाजपा ने मैदान में उतारा है। 

मधुबनी का समीकरण 

अब इस सीट पर जातीय समीकरणों का प्रभाव भी समझ लेते हैं इस सीट पर ब्राह्मणों की जनसंख्या सबसे ज्यादा है । इसके बाद सबसे अधिक जनसंख्या यादवों की है. चूंकि ब्राह्मण भाजपा के कोर वोटर माने जाते हैं उसपर यादव उम्मीदवार देकर पिछले तीन बार से लगातार भाजपा जीत का स्वाद चख रही है। ब्राह्मणों और यादवों के बाद सबसे अधिक संख्या मुस्लिमों की है. यही कारण है कि यहाँ से मुस्लिम भी यहाँ लड़ाई में रहते हैं। इस बार भी मौजूदा सांसद अशोक यादव को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि राजद ने अली अशरफ फातमी को अपना उम्मीदवार बनाया हैं। पिछले तीन चुनाव से यादव और ब्राहमण समीकरण से भाजपा यहाँ जीतते आ रही है। राजद के लिए बड़ी मुश्किल भाजपा प्रत्याशी का यादव होना है। यही कारण है कि उसने अपने दुसरे कोर वोटर मुस्लिम से उम्मीदवार बनाया है। ऐसा प्रयास पहले भी राजद की तरफ से किया गया है पर सफलता हाथ नहीं लग सकी थी।

विधानसभा में NDA का क्लीन स्वीप

मधुबनी लोकसभा के अंतर्गत 6 विधानसभा सीट है। जिसमें से पांच पर भाजपा एक पर जदयू का कब्ज़ा है। मतलब सभी 6 सीटें एनडीए के खाते में जमा हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में इस इलाके में राजद या उसकी सहयोगी पार्टियों का यहाँ खाता भी नहीं खुल सका था। जो कि एनडीए के लिए प्लस पॉइंट है।