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हिजाब पर एक टिप्पणी, सियासत में मचा तूफान: नीतीश कुमार का बयान बना बड़ा विवाद

 
हिजाब पर एक टिप्पणी, सियासत में मचा तूफान: नीतीश कुमार का बयान बना बड़ा विवाद

Bihar politics: आयुष चिकित्सकों के नियुक्तिपत्र वितरण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक टिप्पणी ने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। मंच से एक महिला आयुष चिकित्सक से हिजाब हटाने को कहे जाने का मामला अब सिर्फ एक औपचारिक घटना नहीं रह गया है, बल्कि यह सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी तकरार का मुद्दा बन चुका है।

सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक इस घटना को लेकर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। विपक्ष ने इसे महिलाओं की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संवेदनशीलता से जोड़ते हुए मुख्यमंत्री पर सवाल खड़े किए हैं, जबकि सत्तारूढ़ दल इसे मंचीय औपचारिकता और क्षणिक संवाद करार दे रहा है।

जॉइनिंग को लेकर फैली चर्चाओं ने बढ़ाया विवाद

इसी बीच सोशल मीडिया पर यह दावा तेजी से फैल रहा है कि जिस महिला चिकित्सक से हिजाब हटाने को कहा गया था, उसने नियुक्ति के बाद नौकरी ज्वॉइन करने से इनकार कर दिया है। हालांकि इस संबंध में अब तक न तो संबंधित चिकित्सक की ओर से कोई आधिकारिक बयान आया है और न ही विभागीय स्तर पर इसकी पुष्टि की गई है। इसके बावजूद अटकलों का दौर लगातार तेज होता जा रहा है।

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि नियुक्तिपत्र मिलने के बाद जॉइनिंग के लिए निर्धारित समय दिया जाता है और अभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी। अधिकारी इस पूरे मामले पर फिलहाल संयम बरतते दिख रहे हैं।

समारोह की एक झलक बनी सियासी बहस का केंद्र

गौरतलब है कि 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में आयोजित समारोह में 1,283 नवनियुक्त आयुष चिकित्सकों को नियुक्तिपत्र वितरित किए गए थे। इनमें से दस चिकित्सकों को प्रतीकात्मक रूप से मुख्यमंत्री ने स्वयं नियुक्तिपत्र सौंपे। लेकिन उसी मंच का एक दृश्य अब पूरे कार्यक्रम पर भारी पड़ता नजर आ रहा है।

वायरल वीडियो ने मामले को दिया नया मोड़

इस विवाद के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें कथित रूप से पाकिस्तानी डॉन शहजाद भट्टी मुख्यमंत्री को धमकी देता दिखाई दे रहा है। वीडियो सामने आने के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है। मामले की जांच साइबर थाना को सौंप दी गई है और वीडियो की सत्यता व स्रोत की पड़ताल की जा रही है।

हालांकि प्रशासन की ओर से फिलहाल इतना ही कहा जा रहा है कि जांच जारी है, लेकिन राजनीतिक हलकों में यह वीडियो भी विवाद को और धार देने वाला साबित हो रहा है।

कुल मिलाकर, नियुक्तिपत्र वितरण समारोह का एक क्षण अब राजनीतिक संवेदनशीलता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सार्वजनिक आचरण जैसे बड़े सवालों के बीच आ खड़ा हुआ है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा बिहार की राजनीति में कितनी दूर तक जाएगा, इस पर सबकी नजर टिकी है।