SIR पर अब जदयू सांसद भी नाराज़! बोले– 'चुनाव आयोग को बिहार का इतिहास-भूगोल कुछ नहीं पता'
बिहार में वोटर लिस्ट के 'विशेष गहन पुनरीक्षण' (SIR) को लेकर सियासत तेज होती जा रही है। जहां विपक्ष इसे 'संविधान के खिलाफ़' बता रहा है, वहीं अब सत्तारूढ़ जदयू के सांसद गिरधारी यादव ने भी इस प्रक्रिया पर खुलकर नाराज़गी जाहिर की है।
SIR जबरदस्ती थोपा गया है
बांका से सांसद गिरधारी यादव ने संसद के बाहर मीडिया से कहा कि, "यह 'विशेष गहन पुनरीक्षण' हम पर जबरन थोप दिया गया है। चुनाव आयोग को कोई व्यावहारिक समझ नहीं है। न उन्हें बिहार का इतिहास पता है, न भूगोल!" उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, मेरे बेटे के सिग्नेचर चाहिए थे, लेकिन वह अमेरिका में है। ऐसे में मैं 10 दिन तक सिर्फ कागज़ इकट्ठा करता रहा।
MP बने हैं, तो सच बोलेंगे
जब उनसे पूछा गया कि क्या वो पार्टी लाइन के खिलाफ़ बोल रहे हैं, तो उनका जवाब था, अगर सच नहीं बोल सकते, तो सांसद क्यों बने हैं? मैं वोट डालते वक्त पार्टी के साथ हूँ, लेकिन सोचने और बोलने का हक़ मेरा निजी है। उन्होंने SIR को मानसून और खेती के मौसम में अव्यवहारिक बताया और कहा कि चुनाव आयोग को इसे 6 महीने बाद करना चाहिए था।
जब सरकार की लाइन से अलग बोले सत्ताधारी सांसद
गिरधारी यादव के बयान ने जदयू के लिए नई मुश्किल खड़ी कर दी है क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस प्रक्रिया के समर्थन में हैं।
लेकिन अब उन्हीं की पार्टी के सांसद कह रहे हैं कि, SIR की टाइमिंग पूरी तरह गलत है। इससे पहले तेजस्वी यादव और राहुल गांधी भी पटना में इस मुद्दे पर सड़क पर उतर चुके हैं। बिहार विधानसभा में लगातार तीसरे दिन SIR को लेकर हंगामा जारी रहा।
चुनाव आयोग क्या कहता है?
चुनाव आयोग ने कहा है कि SIR एक संवैधानिक ज़रूरत है। इसका मकसद मृत, पलायन कर चुके या दोहरी एंट्री वाले वोटरों को हटाना है। आयोग के मुताबिक़ अब तक 52 लाख नाम हटाए जा चुके हैं। लेकिन विपक्ष ने आरोप लगाया कि, यह प्रक्रिया गरीबों और वंचित समुदायों को निशाना बना रही है। उन्होंने यह भी आपत्ति जताई कि राशन कार्ड और आधार जैसे पहचान पत्रों को अमान्य कर दिया गया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में आयोग को सुझाव दिया कि इन दस्तावेजों को पहचान के रूप में स्वीकार किया जाए।
आयोग की लाइन अब कमजोर पड़ रही है?
जब सत्ता पक्ष के सांसद भी सवाल उठाने लगें, तो ये साफ संकेत है कि जमीन पर लोगों की परेशानियां सही हैं। SIR को लेकर विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है और आने वाले दिनों में राजनीति और अदालत दोनों के मोर्चों पर हलचल और तेज़ हो सकती है।







