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संयोजक के सवाल पर PK का तीखा तंज, बोले- गलतफहमी में हैं नीतीश

 

नीतीश कुमार के संयोजक नहीं बनाने को लेकर बिहार में खूब बयानबाजी हो रही है. हालांकि I.N.D.I.A गठबंधन की पांचवी बैठक के बाद ऐसी खबर आई की नीतीश कुमार ने खुद ही संयोजक का पद ठुकरा दिया. लेकिन नीतीश कुमार के विरोधी ये बात मानने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि नीतीश कुमार के नाम पर सहमती नहीं बनी इसलिए ऐसी बातें कहीं जा रही है. जनसुराज यात्रा में लगे प्रशांत किशोर का कहना है कि नीतीश कुमार गलतफहमी में हैं उन्हें कुछ भी मिलने वाला नहीं है.

दरअसल प्रशांत किशोर की जनसुराज यात्रा बेगूसराय में चल रही है. यहाँ मीडियाकर्मियों से बात करते हुए उन्होंने नीतीश कुमार निशाना साधा. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार यहां समझ रहे हैं कि देश की जनता उन्हें पीएम पद का सबसे योग्य उम्मीदवार मान रही है. उन्हें पता नहीं है कि उनके आसपास रहने वाले कुछ लोग ही यह भ्रम पैदा कर रहे हैं. नीतीश कुमार यह सब सुनकर गलतफहमी के शिकार हो गए हैं. पिछले दिनों इंडिया अलाइंस की जो वर्चुअल मीटिंग हुई थी वह खानापूर्ति मात्र थी. उसके पहले चर्चा थी कि नीतीश कुमार गठबंधन के संयोजक बन जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पीके ने कहा कि बिहार सीएम की स्थिति ऐसी हो गई है कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर के गठबंधन में प्रमुख पद पर सहमति नहीं बन पाएगी.

प्रशांत किशोर यहीं नहीं यूके उन्होंने कहा कि वर्चुअल मीटिंग में नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की बात उठी तो राहुल गांधी ने मना कर दिया. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी इसके लिए तैयार नहीं होंगी. नीतीश कुमार ने जब देखा कि यह संयोजक का पद मिलने वाला नहीं है तो उन्होंने इनकार कर दिया. सच्चाई यही है कि राजद या जदयू में से किसी को इंडी गठबंधन में तबज्जो नहीं दी जाएगी.

बिहार में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर भी प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि चाचा भतीजे की सरकार अपने हाथों से अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं. नौकरी पर नौकरी देने का दावा कर रहे हैं लेकिन बिहार से लेबर और ब्रेन दोनों पलायन कर रहा है. शिक्षक नियुक्ति के नाम पर लोगों में भ्रम पैदा किया जा रहा है. जो बहाली हो रही है उसे लोग ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं. जो लोग पहले से नौकरी कर रहे हैं उन्हें में से अधिकांश राज्य कर्मी बनने के लिए बीपीएससी का फॉर्म भरते हैं और फिर उन्हें नियुक्ति पत्र थमाया जाता है. बिहार में नौकरी की स्थिति यही है कि यहां के युवा दूसरे प्रदेशों में बेहतर कर रहे हैं. पढ़ाई के लिए भी बच्चों को कोटा और दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है.