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नीतीश–मोदी मुलाकात के सियासी मायने, राहुल गांधी पर तंज और मांझी के बयान से गरमाई राजनीति, जानिए पूरी खबर…

 
नीतीश–मोदी मुलाकात के सियासी मायने, राहुल गांधी पर तंज और मांझी के बयान से गरमाई राजनीति, जानिए पूरी खबर…

Bihar politics: बिहार की राजनीति में दिल्ली से लौटती चर्चाओं ने एक बार फिर सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात को लेकर बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने इसे सरकार गठन के बाद की एक शिष्टाचार भेंट बताया और इसके राजनीतिक अर्थ निकालने से इनकार किया।

अशोक चौधरी के अनुसार, बैठक के दौरान बिहार के विकास से जुड़े मुद्दों पर बातचीत होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि संभव है मुख्यमंत्री ने ‘सात निश्चय-3’ के तहत प्रस्तावित योजनाओं पर चर्चा की हो और यह भी विचार किया गया हो कि केंद्र सरकार किस तरह बिहार को अतिरिक्त सहयोग दे सकती है।

राहुल गांधी के आरोपों पर तीखा पलटवार

कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा आरएसएस पर संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा करने के आरोपों को लेकर अशोक चौधरी ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान केवल राजनीतिक बयानबाजी हैं, जिनका कोई ठोस आधार नहीं है।
अशोक चौधरी ने सवाल उठाया कि यदि कांग्रेस के पास कोई प्रमाण हैं तो उन्हें सार्वजनिक किया जाए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस को दूसरों पर आरोप लगाने से पहले खुद की स्थिति पर विचार करना चाहिए। “जिस पार्टी की राजनीतिक नाव खुद भंवर में फंसी हो, उसे पहले अपनी दिशा तय करनी चाहिए,” उन्होंने टिप्पणी की।

राज्यसभा सीट को लेकर बढ़ा सियासी तनाव

केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के हालिया बयान पर भी अशोक चौधरी ने प्रतिक्रिया दी। मांझी ने अपने बेटे और बिहार सरकार के मंत्री संतोष कुमार सुमन को राज्यसभा सीट नहीं मिलने की स्थिति में मंत्री पद छोड़ने की बात कही थी। इस पर अशोक चौधरी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि “मांझी जी को खुद ही मंथन करने दीजिए, जब वे निष्कर्ष पर पहुंचेंगे, तब जवाब दिया जाएगा।”

मांझी के बयान से एनडीए में हलचल

गौरतलब है कि जीतन राम मांझी ने हाल ही में सार्वजनिक मंच से कहा था कि यदि उन्हें राज्यसभा सीट नहीं मिलती है तो वे केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने पर विचार करेंगे। उन्होंने संतोष सुमन से भी मंत्री पद छोड़ने की सलाह दी थी। इतना ही नहीं, मांझी ने यह संकेत भी दिया कि आगामी चुनाव में यदि उनकी पार्टी को अपेक्षित सीटें नहीं मिलीं तो वे अपना अलग राजनीतिक रास्ता चुन सकते हैं।

इन बयानों के बाद एनडीए के भीतर राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं और आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और बयानबाजी होने के संकेत मिल रहे हैं।