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प्रशांत किशोर पर गांधी मैदान में हथियार रखने की धारा लगी, वकील बोले- क्या पुलिस कंबल और मफलर को हथियार मानती है?

 

जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रधान किशोर 2 जनवरी से लगातार आमरण अनशन पर है इस बीच उनकी तबियत बिगड़ी और उन्हें पटना के मेदांता अस्पताल के ICU वार्ड में रखा गया है। आज उनके अनशन का 8वां दिन है। इन सब के बीच आज जन सुराज अध्यक्ष मनोज भारती के नेतृत्व में सभी प्रमुख नेताओं ने प्रेसवार्ता की। जिसमें प्रशांत किशोर के वकील अमित कुमार ने बड़ी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रशांत किशोर पर गांधी मैदान में हथियार रखने की भी धाराएं लगायी गई हैं। जो हैरान करने वाली बात है।

प्रशांत किशोर के वकील अमित कुमार ने कहा कि जिन धाराओं पर केस दर्ज किया गया है वह चौंकाने वाला है बीएनएस धारा 190, 191 (2), (3) और 223 सभी के सभी  जमानती धाराएं हैं, लेकिन ये हास्यास्पद है कि 191(3) यह धारा दंगा करने का दोषी, यह घातक हथियार रखने पर लगाया जाता। वहां पर किसी बच्चे के हाथ में एक छड़ी तक नहीं थी, कम्बल और मफलर को बिहार पुलिस हथियार मानती है तो बिहार पुलिस गजब है, ये सत्याग्रह था, यह किस तरह से उपद्रवी हो गया।

अमित कुमार ने बताया कि ये आश्चर्यजनक है कि जब प्रशांत किशोर को कोर्ट परिसर से निकाला गया, और बेऊर जेल की ओर ले गएं तब कोर्ट के अंदर हियरिंग चल ही रही थी। बिना कस्टडी के कागज लिए इन्होंने प्रशांत किशोर को बेऊर जेल ले जाना चाहा। वो तो जेल अधीक्षक ने बिना कस्टडी कागज के उन्हें अंदर रखने से मना कर दिया। 

 जमानती PR बॉन्ड में लिखे हुए 4 पॉइंट्स बताए और उन्होंने बोला आप तय कीजिए ये तथ्य हैं या सत्य और :– 

1–मैं इस केस में अभियुक्त हूं।

2–इस कोर्ट के द्वारा मुझे जमानत पर मुक्त्त किया जा रहें।

3–मैं पुलिस का सहयोग करूंगा अगर ट्रायल चलेगा तो मैं कोर्ट में अपीयर हूंगा।

4–अगर मैं ट्रायल नहीं फेस करूंगा और सहयोग नहीं करूंगा तो 25000 देना होगा।

उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात FIR गांधी मैदान थाना में हुआ था, और उन्हें गांधी मैदान थाने में क्यों नहीं ले जाया गया। बेऊर जेल ले गए, जब भीड़ नहीं संभाली गई तो माइक प्रशांत किशोर को ही थमा दिया गया, उसके लिए अपने एक और FIR  तक कर दिया। पुलिस ये क्यों नहीं बताते कि किस ऑथोरिटी से उन्हें बेऊर जेल लेकर गई। हमें पुलिस के द्वारा कोई कागज नहीं दिया गया। पुलिस ने सिर्फ पुलिस ने झूठ का कलिंदा बनाया है

आनंद मिश्रा ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए उन्होंने बताया किसी को नहीं पता था वे लोग प्रशांत किशोर को कहां ले कर जा रहे है तब मैं पीछे गया और मैने देखा कि किसी पुलिस अफसर के वर्दी पर नाम प्लेट नहीं था, रैंक नहीं था किसी ने कैप तक नहीं लगाया था। बिहार पुलिस के नाम पर बहरूपिया हो क्या पता, किसी ने अपनी आइडेंटिटी तक  नहीं  बताई। ऐसा बरताव किसी आतंकी के साथ भी नहीं होता।

आगे आनंद मिश्रा ने कहा कि मैं डीजीपी से आग्रह करता हूं, कम से कम बेसिक गाइडलाइंस फॉलो कीजिए डीके बासु गाइडलाइंस साफ कहती है अपना आइडेंटिटी बताना होता है। वहां पर कोई अपना रैंक नहीं बता रहा, जब मैने गाइडलाइंस याद दिलाया फिर उन्होंने बस अपना रैंक बताया। यह पूरी तरह से गैरकानूनी डिटेंशन किया गया था।बिहार पुलिस डीके बासु गाइडलाइंस को फॉलो करने में फेल हो गई, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने कहा है फॉलो करने।

बीएनएस की धारा 191 क्या है

भारतीय न्याय संहिता की धारा 191 दंगा (Riot) करने के अपराध से संबंधित है। दंगा एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें पांच या उससे अधिक लोग एक साथ मिलकर गैर-कानूनी रुप से सभा (Unlawful Assembly) का आयोजन करके एकत्र होते है। इन सभी का उद्देश्य कानून के विरुद्ध कार्य करने या बल प्रयोग करने का होता है।

बीएनएस धारा 191 को मुख्य रुप से 3 उपधाराओं (Sub-Sections) में बाँटा गया है जो कि इस प्रकार है :-

BNS 191 (1):- धारा 191(1) में दंगे के अपराध की परिभाषा के बारे में बताया गया है। जिसमें कहा गया है कि जब किसी गैर-कानूनी सभा (Unlawful Assembly) में 5 या 5 से अधिक लोग इकट्ठे होते है, व उस सभा में बल व हिंसा (violence) का प्रयोग करते है। तो उस सभा के प्रत्येक सदस्यों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 191(1) लागू कर कार्यवाही की जाती है।
BNS 191 (2): धारा 191(2) में साधारण दंगे के अपराध की सजा के बारे में बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति या समूह किसी गैर-कानूनी सभा में बिना किसी घातक हथियार (Dangerous Weapons) के हिंसा करता है, तो ऐसे व्यक्ति को दोषी (Guilty) पाये जाने कारावास की सजा व जुर्माने से दंडित किया जाता है।
BNS 191 (3) इसमें बताया गया है कि जो भी व्यक्ति किसी गैर-कानूनी सभा में घातक हथियार के साथ हिंसा करेगा। उस व्यक्ति को दोषी पाये जाने पर साधारण दंगे की सजा में दी जाने वाली सजा से ज्यादा दंड दिया जाता है।