बिहार विधानसभा में बवाल: नीतीश कुमार पर विपक्ष का कागज़ फेंककर हमला, कुर्सी उठाकर वेल में मचाया हंगामा
Patna: बिहार विधानसभा में मंगलवार को भारी हंगामा देखने को मिला। वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने एकजुट होकर आक्रामक रुख अपनाया और सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर कागज फेंक दिया, जिससे सदन की कार्यवाही पूरी तरह बाधित हो गई। विरोध इतना बढ़ गया कि सदस्य वेल में पहुंच गए, कुर्सियां उठाकर फेंकी, और मार्शलों को उन्हें काबू में करने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। इस दौरान सदन पूरी तरह अराजक माहौल में बदल गया। आखिरकार, विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव को कार्यवाही बुधवार सुबह 11 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
तेजस्वी यादव ने की तत्काल चर्चा की मांग
कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने SIR को लेकर तत्काल बहस की मांग रखी। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा आम जनता और वोटरों से सीधे जुड़ा है, और इस पर सदन में बहस होनी जरूरी है। इसके अलावा तेजस्वी ने कहा,“जब वोटर ही सूची से बाहर कर दिए जाएंगे, तो लोकतंत्र कैसे बचेगा?”
तेजस्वी ने यह भी कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है और यहां लोकतांत्रिक अधिकारों को छीना जा रहा है। उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा की जा रही वोटर रिवीजन प्रक्रिया को पक्षपातपूर्ण और जनविरोधी बताया।
अध्यक्ष ने ठुकराई चर्चा की मांग, विपक्ष ने किया हंगामा
विधानसभा अध्यक्ष ने तेजस्वी की मांग को ठुकराते हुए कहा कि जब सदन शुरू हुआ था, तब विपक्ष के पास अपनी बात कहने का मौका था, लेकिन उन्होंने उस समय कुछ नहीं कहा। इससे नाराज़ विपक्षी विधायक अपनी सीट छोड़कर वेल में आ गए और नारेबाजी, पोस्टर लहराना और कागज़ फेंकना शुरू कर दिया।
स्थिति इतनी बिगड़ गई कि 21 मिनट में ही स्पीकर को सदन स्थगित करना पड़ा।
अध्यक्ष की फटकार: “आपको जनता की नहीं, सिर्फ बवाल की चिंता”
कार्यवाही स्थगित करते हुए अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा: “आप लोगों की मंशा सिर्फ हंगामा करना है। आपको जनता की बात रखने से कोई मतलब नहीं है।”
क्या है SIR विवाद?
SIR (Special Intensive Revision) यानी मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण एक प्रक्रिया है, जिसमें नए वोटरों को जोड़ा जाता है और फर्जी या दोहराए गए नामों को हटाया जाता है। विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया में जानबूझकर लाखों बिहारियों के नाम हटाए जा रहे हैं, खासकर उन लोगों के जो बाहर काम करने गए हैं।
आपको बता दें कि बुधवार को सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होगी, लेकिन माहौल को देखते हुए माना जा रहा है कि विपक्ष अपने विरोध को और तेज कर सकता है।
इस मुद्दे पर अब नजरें चुनाव आयोग और सरकार की अगली रणनीति पर टिकी हैं। फिलहाल सदन सन्नाटे में है, लेकिन सवाल उठता है क्या लोकतंत्र की गूंज यहां दब रही है या नए संघर्ष की शुरुआत हो चुकी है?







