बिस्कोमान निदेशक मंडल चुनाव का परिणाम जारी, मिला जीत का सर्टिफिकेट, दिलचस्प होगा अध्यक्ष का चुनाव

बिहार की एनडीए सरकार ने बिहार राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (बिस्कोमान) के 17 सदस्यीय निदेशक मंडल के चुनाव की गिनती होने के बाद से परिणाम घोषित कर दिया है. इसके बाद अध्यक्ष का चुनाव होना है. अध्यक्ष चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने तीन निदेशक नामित कर दिया है. नामित निदेशकों को चुनें गये निदेशकों से जोड़ दिया जाए तो अब इसकी संख्या 20 हो गई है. केन्द्र सरकार भी एक निदेशक नामित करेंगी. यानी 21 निदेशक में से एक को अध्यक्ष पद पर चयन किया जाएगा. बिस्कोमान के निवर्तमान अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह के प्रतिद्वंद्वी गुट विशाल सिंह के समर्थकों को निदेशक नामित किया गया है. इससे स्पष्ट है कि अध्यक्ष के होने वाले चुनाव का मामला अब दिलचस्प हो गया है. चूंकि बिस्कोमान पर आधिपत्य कायम करने के लिए एनडीए सरकार हर तिकड़म अपनाने की कोशिश में जुटी हुई है.
सहकारिता निर्वाचन प्राधिकार ने बिस्कोमान निदेशक मंडल चुनाव की पुनर्मतगणना का रिजल्ट जारी कर दिया. डॉ सुनील सिंह गुट से डॉ सुनील कुमार सिंह, हीरा प्रसाद सिंह, विनय कुमार, दिनेश सिंह, अभिजीत कुमार, राम कलेवर प्रसाद सिंह, पार्थ कुमार यादव, रमेश चंद्र चौबे, वंदना सिंह, मानेश्वर पाहन मधुप्रिया, शाहीन कलाम, जबकि विशाल सिंह गुट से महेश राय, विनय कुमार शाही, शोभा सिंह, दिनेश सिंह और विशाल सिंह जीते हैं. जदयू के अस्थावां विधायक जीतेंद्र कुमार किस गुट में यह तय नहीं है. हालांकि एनसीसीएफ चेयरमैन और नेफेड निदेशक विशाल सिंह के पूर्व से घोषित पैनल में विधायक जीतेंद्र कुमार का नाम शामिल था. सभी विजयी प्रत्याशियों को डीएम डॉ चंद्रशेखर ने सर्टिफिकेट दिया है. उधर सहकारिता विभाग ने तीन सदस्यों को नामित कर दिया है. इनमें पूर्णियां के राकेश कुमार, पूर्व विधान पार्षद मनोज कुमार सिंह और खाजपुरा निवासी दीपक कुमार शामिल हैं. दीपक कुमार दीघा के भाजपा विधायक डॉ संजीव कुमार चौरसिया के भाई हैं. केंद्र सरकार भी एक सदस्य नामित करेगी. इस संबंध में सहकारिता विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है. नामित निदेशकों को निदेशक के सभी अधिकार प्राप्त होंगे. तीनों निदेशक विशाल गुट के करीबी माने जा रहे हैं. चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद डॉ सुनील कुमार सिंह ने कहा है कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं. उन्होंने कहा कि दोबारा मतगणना में भी उनके पैनल ने जीत दर्ज की. अब शीघ्र ही अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होने के आसार है.

सहकारिता विभाग ने मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी की धारा 48 (1)(सी) के तहत निदेशकों को नामित किया है. विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि बिस्कोमान की कुल पूंजी में बिहार सरकार की हिस्सेदारी 99.26 फीसदी है. इसलिए निदेशक मंडल के कार्यकाल तक तीनों निदेशक नामित किए जाते हैं. पिछले साल 26 जुलाई को राजद एमएलसी सुनील कुमार सिंह को बिस्कोमान के अध्यक्ष पद से मुक्त कर दिया गया था. वैसे, बिस्कोमान के पिछले निदेशक मंडल का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो गया है. इस संबंध में भारत सरकार द्वारा एक पत्र जारी किया गया था. बाद में उनकी विधान परिषद सदस्यता भी खत्म कर दी गयी थी. इस बाबत जारी पत्र में लिखा गया है, बिहार राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड बिहार एवं झारखंड में प्रशासन की नियुक्ति के संबंध में राज्य सहकारी विपणन संघ की चुनाव प्रक्रिया को सहकारिता निर्वाचन प्राधिकार के आदेश संख्या 2012 के तहत रद्द कर दिया है. साथ ही कार्य संचालन सहित चुनाव के स्वतंत्र और निष्पक्ष संचालन के लिए एक प्रशासक की नियुक्ति के लिए सिफारिश की. इसके साथ ही 2010 बैच के सेवानिवृत्त आइएएस कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव को प्रशासक नियुक्त किया गया. प्रशासक के रूप में उक्त आदेश के जारी होने की तारीख से छह महीने से अधिक की अवधि के लिए सोसायटी के मामलों का प्रबंधन करना और एमएससीएस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सोसायटी के चुनाव आयोजित करना और नियम 2002 के तहत प्रशासक केंद्र सरकार और उसके नियंत्रण के अधीन होगा. वक्त-वक्त पर दिए जाने वाले निर्देश बोर्ड या बिस्कोमान के किसी भी अधिकारी के सभी या किसी भी कार्य को करने और बिस्कोमान के हित में आवश्यक सभी कार्रवाई करने की शक्ति रखते हैं.
बिस्कोमान निदेशक मंडल के 24 जनवरी को मतदान और मतगणना दोनों हुई थी. इस पर 25 प्रत्याशियों को आपत्ति दर्ज कराई थी. सहकारिता प्राधिकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने पहली फरवरी को वोटों की गिनती करायी, इसमें कुल वोट 269 में से 27 मत रद्द किए गए. 24 जनवरी को भी 27 मतों को रद्द किया गया था, क्योंकि मतदाताओं ने वोट डालते समय कहीं न कहीं गड़बड़ी कर दी थी. बिस्कोमान के 17 निदेशक मंडल पद के लिए कुल 33 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, इसमें से 25 प्रत्यशियों के वोटों की गिनती दोबारा कराने का निर्देश सहकारिता प्राधिकार की ओर से दी गई थी. अधिकारियों का कहना है कि ग्रुप बी में महिला में दो, ग्रुप ए सामान्य वर्ग में 20 तथा ग्रुप ए एसटी वर्ग में तीन मतों को रद्द किया गया. सहकारिता प्राधिकार की ओर से एक प्रेक्षक दोबारा मतगणना पर नजर रखे हुए थे तथा उनकी उपस्थिति में पुनर्गणना की गई. ग्रुप बी के दो पदों के लिए प्रत्याशियों के बीच जीत हार का अंतर आठ वोट का अंतर है. इसी वर्ग में महिला पद के लिए दो प्रत्याशियों के जीत हार का अंतर 15 वोट का है. ग्रुप एक में प्रत्याशियों में जीत हार का अंतर मात्र एक वोट से है, जबकि ग्रुप ए के एसटी वर्ग में दो वोट का अंतर है. जिन प्रत्याशियों के जीत हार का अंतर कम था उन्हें ऐसी आशंका थी कि यदि रद्द किए गए वोट को पुन: जोड़ दिया जाए तो परिणाम उनके पक्ष में आ सकता है. इसी आधार पर वे पुनर्मतगणना की मांग की गई थी लेकिन प्रशासन की ओर से मतगणना के लिए अनुभवी कर्मचारियों को तैनात किया गया था. इसलिए जिन मत पत्रों को रद्द किया गया था उसकी जांच गंभीरता से की गई.