उपचुनाव के दिन दरभंगा एम्स के शिलान्यास पर RJD ने उठाया सवाल, सारा क्रेडिट तेजस्वी को दिया
बिहार के दरभंगा में कल यानी 13 नवंबर को पीएम मोदी एम्स का शिलान्यास करेंगे. पीएम मोदी के दरभंगा आने से पहले बिहार के सियासी गलियारों में हलचल तेज है. 13 नवंबर को ही बिहार की चार सीटों में उपचुनाव है. इसके अलावा अगले साल के आखिरी महीनों में विधानसभा चुनाव है, उससे पहले मिथिलांचल को बड़ी सौगात मिल रही है. 13 नवंबर को ही दरभंग एम्स के शिलान्यास को आरजेडी बीजेपी का चुनाव प्रभावित करने का हथकंडा बता रही है. पूर्व सांसद और आरजेडी नेता अली अशरफ फ़ातमी ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस कर शिलान्यास की तारीख पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि पहले एनडीए सरकार दरभंगा एम्स को लेकर टाल मटोल का इरादा रखती थी, जिस कारण जमीन आवंटन में काफी वक़्त लगाया गया.
आरजेडी नेता अली अशरफ फ़ातमी सबसे पहले उन्होंने तेजस्वी यादव को श्रेय देते हुए धन्यवाद दिया. अपने खाजा सराय स्थित आवास पर पीसी करते हुए फातमी ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने 13 नवंबर को बिहार में उपचुनाव के दिन ही शिलान्यास की तिथि चुनी है. यह साफ दर्शाता है कि एनडीए ने इन चुनावों को प्रभावित करने की नीयत से इस दिन को चुना है. शुरुआत में डीएमसीएच के पास एम्स बनाने की बात कही गई. फिर इसे अशोक पेपर मिल के इलाके में बनाने की योजना पेपर तक सीमित थी. फातमी ने आगे कहा कि इस दौरान तेजस्वी यादव बिहार के स्वास्थ्य मंत्री बने और उन्होंने इस दिशा में तेजी से काम किया और भूमि आवंटित कर दरभंगा एम्स को पेपर से जमीन पर उतारने में अहम भूमिका अदा की.
गौरतलब है कि अली अशरफ फ़ातमी दरभंगा से साल 1991 साल 1996, साल 1998 और साल 2004 यानी चार बार सांसद रहे हैं. उन्होंने कहा कि फिलहाल जो एम्स बनाया जा रहा है वह काफी छोटा है. इसमें मात्र 700 बेड होंगे जो इलाके की आबादी के हिसाब से मुनासिब नहीं होगा.अली अशरफ ने केंद्र सरकार से मांग की कि दरभंगा एम्स में कम से कम 2500-3000 बेड की व्यवस्था होनी चाहिए. जिससे लोगों इलाज के लिए जरूरी सुविधा मिल सके.
आपको बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को मिथिलांचल की ज़्यादातर सीटों पर जीत मिली थी. सिर्फ दरभंगा के ही 10 विधानसभा सीटों पर गौर करें तो बीजेपी के पास 6 सीटें और जेडीयू के पास 3 हैं. यानि सिर्फ एक सीट आरजेडी के पास है. बिहार के चुनाव साल में प्रवेश करने से ठीक पहले एम्स का खुलना मिथिलांचल के लिए केंद्र सरकार का सौगात के साथ सियासी पिच पर स्ट्रोक के तौर पर भी देखा जा रहा है.