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बिहार में ध्वस्त होते पुल पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से मांगा जवाब, दायर की गई है याचिका

 

देश के सर्वोच्च न्यायलय ने बिहार सरकार से एक जनहित याचिका पर जवाब मांगा है। यह याचिका बिहार में मौजूद और बन रहे पुलों के ध्वस्त होने की संरचानाओं की जांच से जुडी है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूर्ण की अध्यधता वाली खंडपीठ ने याचिका की सुनवाई की। इसमें बिहार सरकार से कमजोर पुलों की देखरेख और उनके समाधान के लिए एक उच्च स्तर की विशेषज्ञ समिति बनाने की बात कही गई है। बीते कुछ हफ्तों से बिहार में पुल गिरने का सिलसिला जारी है। इस मामले में अदालत ने बिहार सरकार को नोटिस भी  जारी किया है। इससे इस बात का पता चलता है कि कोर्ट इस मामले में गंभीर है। याचिका दायर करने वाले ब्रजेश सिंह ने कोर्ट में याचिका दायर करके राज्य में मौजूद और बन रहे पुलों के ढ़ांचों की जांच-पड़ताल करने की मांग की थी। इसके पीछे की वजह बारिश की शुरूआत में ही पुलों का ढ़हना था। इससे लोगों की जान को गंभीर खतरा बना हुआ था। 

 

ये बात पहले से कही जा चुकी है कि राज्य में मौजूद और निर्माणाधीन पुलों की निगरानी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी नियमों की तर्ज पर ही होगा। केंद्र का यह परिपत्र नेशनल हाइवे और केंद्र द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से जुड़ा है और सेंसर का उपयोग करके पुलों की रियल टाइम में निगरानी के लिए था। ब्रजेश सिंह ने कहा कि विशेषज्ञों की सेवाओं का उपयोग करके इस तंत्र को बिहार में भी लागू किया जा सकता है। बीते साल भागलपुर में गंगा नदी में निर्माणाधीन पुल ढ़ह गया था। उस समय पटना उच्च न्यायालय ने  एसपी सिंघला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड  को पुल के ढ़हने के कारणों की रिपोर्ट सौंपने की बात कही गई थी। भागलपुर से खगड़िया को जोड़ने वाले इस पुल का कुछ हिस्सा साल 2022 में भी गिर गया था। साल 2014 में बनना शुरू होकर साल 2019 में 1719 कोरड़ रुपये की लागत से पुल को तैयार करने की योजना थी।

मामले की गंभीरता को देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 3 जुलाई को इस संबंध में मीटिंग बुलाई थी। इस मीटिंग में पुलों के रखरखाव और उनकी जांच-पड़ताल से जुड़े मुद्दों पर बात की गई थी। इसके बाद सरकार ने एक के बाद एक कई इंजीनियर बर्खास्त किए। ये सभी लोग जल संसाधन विभाग और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से जुड़े थे। इस कार्रवाई के बाद सरकार ने इन गिरते पुलों की जांच-पड़ताल और पीछे के कारणों को जानने के लिए उच्च स्तरीय समिति बनाने का भी काम किया था।इसी के साथ यह मुद्दा राजनीतिक हो गया। विपक्ष ने इन गिरते पुलों से सरकार पर कटघरे में लाकर शर्मिंदा करने में जुट गई। यह एक ऐसा मुद्दा बन गया जिसपर विपक्ष ने मॉनसून में बिहार विधानसभा में जमकर विरोध प्रदर्शन भी किए।