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स्मार्ट मीटर पर तेजस्वी ने फिर सरकार को घेरा, पूछ लिया 13 सवाल

 

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव स्मार्ट मीटर को लेकर राज्य सरकार पर लगातार हमलावर हैं। नेता प्रतिपक्ष ने 2 दिन पहले इसे स्मार्ट चीटर मीटर बताया था। अब सरकार से 13 सवाल किए हैं। उन्होंने कहा कि बिहार देश भर में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाला राज्य है। स्मार्ट मीटर लगाकर बिजली दरों को दोगुना कर दिया गया है। सबसे महंगी बिजली बेचकर नीतीश-भाजपा सरकार बिहारवासियों पर अत्याचार कर रही है। स्मार्ट मीटर के नाम पर हो रही सरकारी लूट से हर वर्ग के लोग परेशान हैं।

तेजस्वी यादव ने पूछे 13 सवाल

1. लगभग शत-प्रतिशत उपभोक्ताओं का ऐसा क्यों मानना है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली बिल दोगुना या डेढ़ गुणा बढ़ा है? पूरे बिहार से शिकायतें आ रही हैं कि बिजली का बिल डबल हो गया है। सरकार को बताना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है?

2. स्मार्ट मीटर में गड़बड़ी होने के कारण अगर यह मान लिया जाए कि हर घर से केवल 100 रुपए का ही फर्जीवाड़ा हो रहा है। तो नीतीश सरकार बिहार भर के उपभोक्ताओं से हर महीने हजारों करोड़ रुपए की अवैध राशि वसूल रही है।

3. स्मार्ट मीटर का मुद्दा हर घर से जुड़ा हुआ है। हर घर से इसके खिलाफ आवाज आ रही है। स्मार्ट मीटर के नाम पर बिजली कंपनियों, अधिकारियों और सत्तारूढ़ नेताओं की जो मिलीभगत है, उसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए?

4. बिहार इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन और सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के गजट में स्मार्ट मीटर लगाने की कोई बाध्यता नहीं है तो फिर सरकार किसके फायदे के लिए ऐसा कर रही है?

5. बिहार का इलेक्ट्रिसिटी इंफ्रास्ट्रक्चर Outdated है। उपभोक्ताओं का कहना है कि मीटर Fast है। सरकार कह रही है कि Meter Fast नहीं है तो यह निर्णय कौन करेगा कि मीटर तेज है या नहीं? गड़बड़ी करने वाला विभाग खुद ही कह रहा है कि सब ठीक है। हमारी मांग है कि इस मुद्दे के निपटारे के लिए कोई निष्पक्ष कमेटी होनी चाहिए।

6. बिहार में 2 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं। इसमें से केवल 50 लाख उपभोक्ताओं ने ही स्मार्ट मीटर लगवाया है। नए मीटर लगाने से पूर्व सरकार को पहले वर्तमान 50 लाख उपभोक्ताओं की शंकाओं, संदेहों को दूर कर उन्हें संतुष्ट करना चाहिए।

7. सरकार की बिजली कंपनियों के साथ क्या सांठ-गांठ है? क्या मीटर का Calibration (मापांकन) गलत नहीं हो सकता है?

8. क्या बिजली मंत्री के सुपौल घर में स्मार्ट मीटर है? है तो कब लगा? कितने माननीय और अधिकारियों के सरकारी और व्यक्तिगत आवास पर स्मार्ट मीटर लगा है?

9. पिछले 20 वर्षों में तीन बार मीटर बदला जा चुका है। हर बार मीटर बदलने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या मीटर वाली कंपनियां, बिल वसूलने वाली एजेंसियां, सत्तारूढ़ जदयू नेताओं और अधिकारियों के बीच कोई कमर्शियल रिश्ता है?

10. स्मार्ट मीटर के इंस्टॉलेशन का जो चार्ज है, वह बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से पहले के दो या तीन महीने में वसूलती हैं, लेकिन बताती क्यों नहीं है? 200 रुपए के मीटर पर उपभोक्ताओं से मीटर की कुल कितनी लागत वसूली जाती है?

11. अगर तथाकथित स्मार्ट मीटर सचमुच स्मार्ट है तो इसका यूजर इंटरफेस और सिस्टम इतना धीमा और खराब क्यों है? हर जगह असमंजस, परेशानी, जानकारी का अभाव और पैसों का इधर-उधर हो जाना होता है? इस परेशानी के कारण और अधिक वसूली तथा भ्रष्टाचार होता है।

12. प्रीपेड स्मार्ट मीटर के इंटरफेस और सिस्टम में इतनी गड़बड़ और खराबी क्यों है? पब्लिक को मालूम ही नहीं पड़ता है कि उनका पैसा कहां चला गया? कितना पैसा बचा हुआ है, बिजली उपभोक्ताओं को यह भी पता नहीं चलता कि उनकी राशि कहां कट रही है और क्यों कट रही है और किस दर से कट रही है?

13. उपभोक्ताओं को पैसे के लिए तो मैसेज आता है, लेकिन जब पैसा जमा किया जाता है तब मिला या नहीं इसका कोई मैसेज नहीं आता है। कब बिजली कनेक्शन कटने वाला है या कितनी कम राशि बची हुई है। इसका भी कोई मैसेज नहीं आता है? पैसा आ गया है जल्दी ही बिजली वापस आ जाएगा, इसका भी कोई मैसेज नहीं आता है।

नया रिचार्ज हुआ है या नहीं हुआ है, हुआ है तो बिजली शुरू होने में घंटों क्यों लगते हैं? कुछ भी रियल टाइम अपडेट नहीं होता है। पूछताछ करने पर कोई यह बताता ही नहीं है और ना ही किसी के बिल में यह बात स्पष्ट जाहिर होती है। इन सब कारणों से उपभोक्ता हमेशा परेशान ही रहता है।