तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, कहा- जाति जनगणना सामाजिक न्याय का पहला कदम

तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर केंद्र सरकार के कराए जाने वाले जाति जनगणना फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इस निर्णय पर उम्मीद तो जताई है, लेकिन यह भी लिखा है कि सालों तक केंद्र ने इस मांग को नजरअंदाज किया। ये लेटर 2 मई को पीएम के लिए लिखा गया है।
उन्होंने कहा कि बिहार में हुए जाति सर्वे ने साफ कर दिया है कि समाज में बहुत बड़ी संख्या में लोग पीछे छूटे हुए हैं। यह हकीकत अब पूरे देश में जाननी जरूरी है, ताकि सही फैसले लिए जा सके।
तेजस्वी ने कहा कि जाति के आधार पर इकट्ठा किए गए आंकड़े केवल नंबर नहीं हैं, बल्कि इन्हीं से नीतियां बनानी चाहिए। उन्होंने मांग की कि इन आंकड़ों के आधार पर आरक्षण और सरकारी योजनाओं की समीक्षा होनी चाहिए, ताकि जरूरतमंदों को उनकी आबादी के हिसाब से सही हक मिल सके।

आगे तेजस्वी यादव ने कहा कि अब समय आ गया है कि चुनाव क्षेत्रों को फिर से इस तरह तय किया जाए कि ओबीसी और ईबीसी जैसी जातियों को सही राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिले। उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए संविधान और कानून में बदलाव की जरूरत हो सकती है।
आगे उन्होंने निजी कंपनियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब ये कंपनियां सरकार से जमीन, बिजली और टैक्स में छूट लेती हैं। तो उन्हें देश की सामाजिक विविधता को अपने यहां नौकरी और नेतृत्व में जगह देनी चाहिए। सिर्फ सरकार पर बोझ डालना ठीक नहीं है।
तेजस्वी ने सख्ती के साथ यह भी लिखा है कि अगर जाति जनगणना के आंकड़े सिर्फ फाइलों में बंद रह गए, तो यह मौका भी बाकी रिपोर्ट की तरह बर्बाद हो जाएगा। उन्होंने कहा कि लोगों को सिर्फ गिना नहीं जाना चाहिए, बल्कि उन्हें बराबरी और इज्जत भी मिलनी चाहिए।
तेजस्वी यादव ने यह भरोसा दिलाया कि बिहार इस पूरे अभियान में केंद्र सरकार का साथ देने को तैयार है। बिहार ने दिखाया है कि कैसे ईमानदारी और पारदर्शिता से जाति आधारित सर्वे किया जा सकता है। अपने पत्र के आखिरी में तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री से कहा कि यह फैसला भारत को एक बराबरी वाले समाज की ओर ले जा सकता है। उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक मौका बताया और कहा कि इसमें देरी नहीं होनी चाहिए।