महागठबंधन की रणनीति में तेजस्वी यादव की क्रूर सियासत, टिकट और सीटों की अंतिम सूची तैयार
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव का ऐलान अब बस कुछ ही दिनों में होने वाला है और इसी बीच महागठबंधन ने अपनी चुनावी रणनीति को और धार देना शुरू कर दिया है। इस बार गठबंधन ने परंपरा से हटकर बड़ा फैसला लिया है—अब सिर्फ सीटों का बंटवारा नहीं होगा, बल्कि उम्मीदवारों के नाम भी एक साथ तय किए जाएंगे।
राजद, जो महागठबंधन की धुरी मानी जाती है, ने सहयोगी दलों को साफ संदेश दिया है कि वे सीटों की मांग के साथ उम्मीदवारों की सूची भी सौंपें। कांग्रेस ने इस दिशा में सबसे पहले कदम बढ़ाते हुए 76 सीटों पर दावा ठोका और उन सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सूची राजद को सौंप दी। वहीं, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने 60 सीटों पर दावा तो किया, लेकिन आधी सीटों पर ही उम्मीदवारों के नाम दिए हैं।
इसी तरह वाम दलों—भाकपा माले, माकपा और भाकपा—ने 40 सीटों की मांग के साथ अपनी पूरी सूची राजद के पास जमा कर दी है। राजद खुद करीब 130 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। इसके साथ ही रालोजपा और झामुमो की एंट्री भी महागठबंधन में लगभग तय मानी जा रही है। इन दोनों को 6 से 8 सीटें मिलने की संभावना है और उनसे भी उम्मीदवारों की सूची मांगी गई है।
जीत सुनिश्चित करने की रणनीति
गठबंधन की इस नई रणनीति के पीछे साफ संदेश है—“जहां जीत पक्की दिखेगी, वहीं टिकट मिलेगा।” अगर किसी सीट पर दावेदारी टकराती है तो अंतिम फैसला शीर्ष नेता करेंगे और उसी उम्मीदवार को टिकट दिया जाएगा, जिसके जीतने की संभावना सबसे मजबूत होगी। इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर किसी दल के उम्मीदवार को सहयोगी दल के चुनाव चिन्ह पर भी मैदान में उतारा जा सकता है।
दोहरा फायदा
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह कदम महागठबंधन के लिए दोहरी ताकत साबित हो सकता है। पहला, चुनाव की घोषणा के बाद साझा उम्मीदवार सूची को चरणबद्ध तरीके से पेश किया जा सकेगा। दूसरा, जनता के बीच “एकजुटता” का मजबूत संदेश जाएगा, जिससे चुनावी माहौल महागठबंधन के पक्ष में बन सकता है।
अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि दशहरा तक महागठबंधन सीटों और उम्मीदवारों की जो अंतिम सूची जारी करेगा, उसमें किन नामों को मौका मिलेगा और किसका टिकट कट जाएगा।







