तेजस्वी का ‘तीन ताज’ वाला मास्टरस्ट्रोक: दलित, मुस्लिम, EBC को एक साथ साधने की सियासी चाल
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी पारा तेजी से चढ़ गया है। एक ओर जहां एनडीए अपने सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे में उलझा है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन ने अब अपने सियासी पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, गठबंधन ने सीट बंटवारे के फॉर्मूले को लगभग अंतिम रूप दे दिया है और इसके साथ ही एक बड़ा फैसला भी लिया गया है अगर सत्ता में वापसी होती है, तो महागठबंधन दलित, मुस्लिम और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) समुदाय से तीन उपमुख्यमंत्री नियुक्त करेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह फैसला न सिर्फ सामाजिक संतुलन साधने का प्रयास है, बल्कि चुनावी रणनीति के लिहाज से भी तेजस्वी यादव का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।
तेजस्वी यादव होंगे सीएम चेहरा
गठबंधन के सूत्रों ने पुष्टि की है कि मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी यादव का नाम लगभग तय है। वे पिछड़े वर्ग से आते हैं और पहले दो बार उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। सहयोगी दलों की औपचारिक सहमति भले बाकी हो, लेकिन गठबंधन के भीतर तेजस्वी के नेतृत्व पर कोई मतभेद नहीं है। उनका सीधा मुकाबला होगा एनडीए के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से, जिनकी सरकार में इस समय दो उपमुख्यमंत्री-सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा-काम कर रहे हैं।
सीट बंटवारे का फार्मूला भी तय
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि सीट बंटवारे को लेकर सहमति बन चुकी है:
• राजद: 125 सीटें
• कांग्रेस: 50–55 सीटें
• वाम दल: 25 सीटें
बाकी सीटें वीआईपी, लोजपा (पारस गुट) और झामुमो के खाते में जाएंगी।
तिवारी के मुताबिक, यह फॉर्मूला तेजस्वी यादव की “नई राजनीति” को दर्शाता है-जिसमें यादव वोट बैंक पर निर्भरता घटाकर दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्गों को सत्ता में सीधा प्रतिनिधित्व देने का प्रयास है।
कांग्रेस और वीआईपी ने दी प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता प्रवीन सिंह कुशवाहा ने इस पहल को राहुल गांधी की सामाजिक समावेशन नीति का विस्तार बताया, जबकि वीआईपी के प्रवक्ता देव ज्योति ने दावा किया कि तेजस्वी यादव की औपचारिक घोषणा गुरुवार शाम तक हो जाएगी और उनके उपमुख्यमंत्रियों में एक नाम मुकेश साहनी का भी शामिल रहेगा।
विपक्ष ने कसा तंज
विपक्षी दलों ने इस रणनीति को चुनावी चाल बताते हुए कहा कि महागठबंधन “सत्ता की लालसा में हवाई किले बना रहा है।” जन सुराज पार्टी के अनिल कुमार सिंह ने कहा, “तीन डिप्टी सीएम वाला मॉडल अंदरूनी कलह को बढ़ा सकता है और तेजस्वी का नियंत्रण कमजोर कर सकता है।”
तीन डिप्टी सीएम का राजनीतिक अर्थ
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि तीन उपमुख्यमंत्रियों का फार्मूला तेजस्वी यादव को तीन स्तरों पर फायदा देगा:
1. वंशवाद के आरोप कमजोर होंगे,
2. यादव वर्चस्व की छवि टूटेगी,
3. दलित-पिछड़ा-मुस्लिम गठबंधन और मज़बूत बनेगा।
243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 123 है। ऐसे में यह “तीन ताज वाला दांव” तेजस्वी यादव के लिए केवल चुनावी वादा नहीं, बल्कि सत्ता तक पहुंचने की उनकी सबसे अहम सियासी रणनीति बनकर उभर रहा है।







