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तूफान से पहले की खामोशी? तेजस्वी की चुप्पी के सियासी मायने

 

किसी शायर का एक शेर है “आज न फिजाओं में हलचल है न हवाओं में गर्मजोशी है, ये सन्नाटा महज़ इत्तेफाक है या तूफान से पहले की खामोशी है” ये शेर इस वक्त बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव के लिए बिलकुल सही लग रहा है. महागठबंधन की सरकार गिरने के बाद से पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सिर्फ एक बार मीडिया के सामने आए हैं. उनका कहना था कि खेला अभी बाकी है. लेकिन इसके बाद से उन्होंने चुप्पी साध रखी है. मीडिया से भी दूरी बनाते दिख रहे हैं. ये महज महज़ इत्तेफाक है या तूफान से पहले की खामोशी इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है.

तेजस्वी यादव ने भले ही चुप्पी साध रखी हो लेकिन उनके खेला होने वाले बयान के इर्द-गिर्द ही बिहार की राजनीती चक्कर काट रही हैं. राजद के विधायक भाई वीरेंद्र का दावा है कि 12 फरवरी को नई सरकार के फ्लोर टेस्ट के दिन बड़ा खेला होगा और राज से पर्दा उठेगा. वहीं बिहार विधान सभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है. इनसब के बीच तेजस्वी का मीडिया से दूरी बनाना साधारण बात नहीं है.

चर्चा है कि तेजस्वी यादव कुछ ऐसा प्लान कर रहे हैं जिससे नई बनी एनडीए सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो जाए. ये तभी संभव है जब एनडीए के घटक दल भाजपा, जदयू और हम(सेक्युलर) में से महागठबंधन इतने विधायकों को तोड़ ले, जिससे एनडीए फ्लोर टेस्ट के दौरान बहुमत के आकड़े 122 से नीचे रह जाए.  तेजस्वी की चुप्पी और राजद नेताओं के दावे इन्हीं कोशिशों की ओर संकेत जरुर कर रहे हैं.हालांकि ऐसा होगा या नहीं ये कहना अभी कठिन है