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केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पहली बार आएंगे बिहार, विधानसभा चुनाव को लेकर BJP नेताओं को देंगे ख़ास टिप्स

 

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान आज पहली बार बिहार पहुंच रहे हैं। राजधानी पटना के SK मेमोरियल हॉल में आयोजित शाहिद रामफल मंडल के शहादत दिवस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। कार्यक्रम के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा के साथ प्रदेश के सभी बड़े नेता मौजूद रहेंगे।

बिहार में 2025 का विधानसभा चुनाव होने वाला है उसको लेकर भाजपा ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा, लोकसभा चुनाव में करिश्मा दिखाने वाले नेताओं को बिहार बुला रही है। ऐसे में शिवराज सिंह आज पटना पहुंचकर बिहार प्रदेश के नेताओं को विधानसभा चुनाव को लेकर टिप्स भी देंगे। लोकसभा चुनाव में मामा का जलवा देखने को मिला, जिसके बाद वह भाजपा के स्टार प्रचारक के रूप में उभर कर आए हैं। बिहार में जिस तरह से लोकसभा चुनाव में एनडीए का 40 में से 40 सीटों पर जीत दर्ज करने का दावा था, लेकिन यह दावा पूरा नहीं हो पाया। ऐसे में अब भाजपा की केंद्रीय नेतृत्व उन चेहरों को बिहार भेज रही है जो लोकसभा में करिश्मा दिखा चुके हैं। ताकि वो बिहार आकर विधानसभा चुनाव को गाइड करे।

बीजेपी, रामफल मंडल की शहादत दिवस हर साल मनाती है। 2025 में विधानसभा का चुनाव है इसलिए बीजेपी हर वर्ग और समुदाय के लोगो को संदेश देना चाहती है जिसके कारण इस बार शहीद दिवस विशेष रूप से बड़ा बनाया जा रहा। रामफल मंडल के कार्यक्रम के जरिए बीजेपी अतिपिछड़ा को संदेश देना चाहती है कि अतिपिछड़ा का असली हितैसी वह है और अतिपिछड़ा के समस्याओं को खत्म करने के किए खड़ी है। बीजेपी ने अतिपिछड़ा को लेकर बिहार में बड़े फैसले लिए है। दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। इससे पहले अतिपिछड़ चेहरा सम्राट चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाया। बिहार में हुए जातीय गणना के बाद अतिपिछड़ा वोट बैंक की भूमिका सबसे ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि बिहार में सबसे ज्यादा वोट बैंक अतिपिछड़ा की है।

शहीद रामफल मंडल को सिर्फ 19 साल के उम्र में फांसी मिली और और वो शहीद हुए। 23 अगस्त 1943 की सुबह भागलपुर सेन्ट्रल जेल में 19 वर्ष 17 दिन के अवस्था में उन्हें फांसी दे दी गई। शहीद रामफल मंडल ने बाजपट्टी में 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाया था। आंदोलन के दौरान अंग्रेजों द्वारा सीतामढ़ी गोलीकांड हुई थी। बच्चे, बूढ़े और औरत गोलीकांड में मारे गए थे। जवाब में रामफल मंडल ने बाद में गोलीकांड के जवाबदेह अंग्रेजी हुक्मरानों के तत्कालीन एसडीओ और अन्य दो सिपाही को गड़ासा से काटकर हत्या कर दी थी, जिसके बाद फांसी की सजा दी गई।