Movie prime

जब लालू यादव ने नीतीश कुमार पर ‘धोखाधड़ी’ का लगाया था आरोप तब नीतीश बोले- गलत बोल रहे हैं आप, VIRAL हो रहा 'प्यार भरी तकरार' का VIDEO

Bihar Politics: 1999 में लोकसभा के सत्र के दौरान तारीख 15 अप्रैल की थी. तब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार गठबंधन संकट से जूझ रही थी और सदन में विश्वास मत पर बहस चल रही थी. इसी बीच बिहार के दो बड़े नेताओं-लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के बीच ऐसा संवाद हुआ जिसने पूरे सदन को ठहाकों से भर दिया...
 
LALU PRASAD YADAV

Bihar Politics: हाल में पटना के एनएमसीएच के एक डॉक्टर से जेपी सेतु के पास ट्रैफिक दारोगा न केवल बदसलूकी की, बल्कि हाथ तक उठा दिया था. दारोगा पर बाद में निलंबन की कार्रवाई भी हुई , लेकिन नाम जेपी सेतु का जुड़ा था तो एक बार फिर जेपी सेतु को लेकर वह मामला जेहन में आ गया जब इसको लेकर लालू यादव और नीतीश कुमार आमने सामने आ गए थे. वाकया वर्ष 1999 का है. जानकार कहते हैं कि लालू यादव की संवाद शैली ने उन्हें जनता का चहेता बनाया तो नीतीश की शांत चित्त और संयम ने उन्हें लोगों के बीच विश्वसनीय पहचान दी है. इस बात को पुष्ट करते हुए 26 वर्ष पूर्व का एक वाकया बड़ा चर्चित है जो आजकल सोशल मीडिया में भी वायरल है.

लालू बोले- धोखाधड़ी ! नीतीश बोले- गलत बोल रहे हैं! सोनपुर पुल पर जब लोकसभा  में हुई थी बहस, 'प्यार भरी तकरार' का वाकया जानिए

1999 में लोकसभा के सत्र के दौरान तारीख 15 अप्रैल की थी. तब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार गठबंधन संकट से जूझ रही थी और सदन में विश्वास मत पर बहस चल रही थी. इसी बीच बिहार के दो बड़े नेताओं-लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के बीच ऐसा संवाद हुआ जिसने पूरे सदन को ठहाकों से भर दिया. इस वाकये के बीच की बात खास इसलिए भी है क्योंकि- मुद्दा गंभीर था! वर्ष 1999 में लोकसभा में इन दोनों के बीच की बहस आज भी लोगों को हंसाती है. यह बहस सोनपुर में गंगा पुल के शिलान्यास पर थी जहां लालू यादव ने नीतीश कुमार पर ‘धोखाधड़ी’ का आरोप लगाया था.

15 अप्रैल 1999 को लोकसभा में माहौल गर्म था. अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार पर विश्वास मत की बहस चल रही थी. डीएमके और एआईएडीएमके ने समर्थन वापस ले लिया था और सरकार संकट में थी. इसी बीच विपक्ष के नेता लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला. मुद्दा था बिहार के सोनपुर में गंगा नदी पर प्रस्तावित रेल पुल. बहस की शुरुआत लालू प्रसाद यादव ने अत्यंत तीखे और तंज भरे अंदाज में की. उन्होंने दावा किया कि सोनपुर में जिस कार्यक्रम की सूचना उन्हें मिली थी, वह केवल पुल के सर्वेक्षण का शिलान्यास था. लेकिन उन्हें बाद में पता लगा कि रातों-रात बोर्ड बदल दिया गया और यह ‘प्रधानमंत्री द्वारा पुल का शिलान्यास’ घोषित कर दिया गया.

लालू यादव ने अपने जाने-पहचाने अंदाज में कहा, सोनपुर के लोग बहुत चालाक निकले… बोले कि यह तो धोखा हो रहा है. उनके अनुसार, स्थानीय जनता को यह विश्वास दिलाया गया कि पुल का निर्माण शुरू हो रहा है, जबकि सच्चाई सिर्फ सर्वेक्षण तक सीमित थी. लालू यादव ने आरोप लगाया कि यह बदलाव चुनावी माहौल का फायदा उठाने और जनता को भ्रमित करने की कोशिश थी. लालू यादव ने इसे ‘धोखाधड़ी’ कहते हुए सदन में ज़ोरदार आपत्ति दर्ज कराई.प्रधानमंत्री वाजपेयी को बुलाकर जनता को ठगा गया. सदन में हंसी के ठहाके गूंजे, क्योंकि लालू की ग्रामीण शैली और तंज ने सबको लोटपोट कर दिया.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव उस समय राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष थे और नीतीश कुमार एनडीए सरकार में रेल मंत्री. विश्वास मत पर बहस में लालू ने सरकार पर बिहार को धोखा देने का आरोप लगाकर रेल मंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और सर्वेक्षण को मिलाकर एक बड़ा कार्यक्रम दिखाया गया, जिससे सरकारी पैसे का भी गलत इस्तेमाल हुआ. लालू यादव का तंज था- प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री हुआ करते हैं, मंत्री मंत्री हुआ करते हैं! उनका मतलब साफ था कि चुनावी लाभ के लिए प्रधानमंत्री के नाम का उपयोग कर पूरा कार्यक्रम ही बदल दिया गया. लालू यादव का कहना था कि बोर्ड बदलकर ‘सर्वेक्षण’ की जगह ‘पुल’ लिख दिया गया, इससे सरकारी पैसा बर्बाद हुआ और जनता ठगी गई. लालू यादव ने मांग की कि जो पैसा खर्चा हुआ, वह जिम्मेवार लोगों की जेब से क्यों न निकाला जाए?

‘धोखा’ और ‘एक हजार शिलान्यास’

लालू यादव ने अपने अंदाज में कहा यह भी कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने ‘एक हजार शिलान्यास’ किए, लेकिन ‘झूठे शिलान्यास’ कभी नहीं किए. इस टिप्पणी पर सदन में हंसी गूंज उठी. लालू यादव का गांव-गंवई वाला ठेठ बिहारी लहजा में बात करना, अपने चुने हुए अनूठे शब्द, जैसे-“पीसफुल सहयोग” और “झूठ काम के लिए ऐसा शिलान्यास” ने माहौल को मजेदार बना दिया. इसके बाद नीतीश कुमार ने भी जवाब दिया. लालू यादव के तंज, व्यंग्य, कटाक्ष और मजाक का नीतीश कुमार ने शांत रहकर जवाब दिया. उन्होंने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह सिर्फ सर्वेक्षण का शिलान्यास था, पुल का नहीं.

‘गलत बोल रहे हैं आप’

नीतीश कुमार ने कहा कि लालू गलत जानकारी दे रहे हैं और कागजात में स्पष्ट लिखा था कि कार्यक्रम सिर्फ सर्वेक्षण का उद्घाटन था. नीतीश ने बार-बार कहा-गलत बोल रहे हैं आप… बिल्कुल गलत. उन्होंने लालू के आरोपों को अनावश्यक बताते हुए सुझाव दिया कि इस विवाद को ठंडे बस्ते में डालकर आगे बढ़ा जाए ताकि परियोजना का काम बिना देरी के पूरा हो सके. सदन में यह नोकझोंक लगातार मजाकिया अंदाज़ में चलती रही, जिसमें दोनों नेताओं की पुरानी प्रतिद्वंद्विता भी झलकती थी. इस पर लालू यादव ने पलटवार किया और बहस 10-15 मिनट चली. लेकिन इसका असर लंबा रहा!

मजेदार है यह क्लासिक पल

बहरहाल, यह वीडियो आज भी यूट्यूब और सोशल मीडिया पर ‘फनी स्पीच’ के रूप में वायरल है. दरअसर राजनीतिक गंभीरता के बीच ऐसा हास्य दुर्लभ होता है. लालू-नीतीश संवाद के अब 26 वर्ष हो गए और न दोनों की दोस्ती-दुश्मनी जारी है- कभी गठबंधन तो कभी ब्रेकअप. 1999 की यह बहस सिर्फ एक राजनीतिक तकरार नहीं, बल्कि भारतीय संसद के इतिहास का मजेदार अध्याय है. समय बीत गया, सरकारें बदलीं, रिश्ते बदले, लेकिन यह बहस भारतीय संसदीय इतिहास का एक ऐसा अध्याय बन गई, जिसे लोग आज भी मुस्कुराते हुए याद करते हैं .