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किसके हैं कर्पूरी? बिहार में जातियों की गोलबंदी, अतिपिछड़ों पर सबकी नजर

 

बिहार में जातियों की गोलबंदी की राजनीति नई बात नहीं है. लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है सारी पार्टियाँ अपने-अपने तरीके से गोलबंदी की तैयारियों में जुट गईं हैं. 24 जनवरी को बिहार के जननायक कहे जाने वाले कर्पूरी ठाकुर की 100 वीं जयंती है. जिसको लेकर जदयू, राजद और भाजपा तीनों विशेष तैयारी कर रही है.

जानकारों की माने तो कर्पूरी ठाकुर के जयंती के जरिए तीनों दलों की नजर अतिपिछड़ा वोट बैंक पर है. राजद और जदयू ने पहले से कार्यक्रम का ऐलान कर रखा था. अब भाजपा भी आयोजन करने जा रही है. भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने भाजपा को अतिपिछड़ों का हितैषी बताया है. साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया है कि महागठबंधन से अतिपिछड़ों का वोट खिसक चुका है.

राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद ने अतिपिछड़ा वर्ग को आरक्षण न देकर अपमानित किया था. बाद में नीतीश कुमार के राजद से हाथ मिलाने और तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित करने के कारण अतिपिछड़ों ने जदयू और महागठबंधन से किनारा कर लिया. अतिपिछड़ा जनाधार पूरी तरह भाजपा के साथ आ चुका है. उन्होंने कहा कि 2014 के संसदीय चुनाव में अतिपिछड़ा वर्ग ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट दिया था. जदयू को केवल 2 सीट मिली थी. 2024 में अतिपिछड़ा विरोधी जदयू जीरो पर आउट होगी.

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा ने अतिपिछड़ा समाज से आने वाले नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाकर अतिपिछड़ा वर्ग को सम्मान दिया और इस वर्ग का विश्वास जीता. सुशील मोदी ने ‌अतिपिछडा समाज से अपील की कि 24 जनवरी को पटना के मिलर स्कूल मैदान में भाजपा की ओर से आयोजित कर्पूरी ठाकुर जन्मशती समारोह में शामिल हो कर इसे ऐतिहासिक बनाएँ. पार्टी हर जिले में कर्पूरी जयंती मना रही है.

बता दें कि राजद 23 जनवरी को पटना के एसके मेमोरियल में कर्पूरी ठाकुर की 100 वीं जयंती कार्यक्रम का आयोजन करेगी.वहीं 24 जनवरी को जदयू पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में भव्य कार्यक्रम करेगी.