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लोक कल्याण के लिए दिया हुआ दान ही सर्वोत्तम होता है: अश्विनी कुमार चौबे

दधीचि देहदान समिति बिहार द्वारा 11 अगस्त 2019 को पूर्वाह्न 11.30 बजे से अंतरराष्ट्रीय अंगदान दिवस के उपलक्ष्य में संकल्पधारियों एवं समाजसेवियों का एक समारोह विद्यापति भवन में आयोजित किया गया है.इस अवसर पर विगत एक वर्ष में जिन परिवारों द्वारा नेत्रदान किया गया है, उन्हें सम्मानित किया गया. पटना के विद्यापति भवन में आयोजित… Read More »लोक कल्याण के लिए दिया हुआ दान ही सर्वोत्तम होता है: अश्विनी कुमार चौबे
 

दधीचि देहदान समिति बिहार द्वारा 11 अगस्त 2019 को पूर्वाह्न 11.30 बजे से अंतरराष्ट्रीय अंगदान दिवस के उपलक्ष्य में संकल्पधारियों एवं समाजसेवियों का एक समारोह विद्यापति भवन में आयोजित किया गया है.इस अवसर पर विगत एक वर्ष में जिन परिवारों द्वारा नेत्रदान किया गया है, उन्हें सम्मानित किया गया.

पटना के विद्यापति भवन में आयोजित समारोह में बिहार के विभिन्न क्षेत्रों से आए सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चैबे ने कहा कि संतों से विमर्श के बाद मै और मेरी पत्नी ने भी अपना देहदान किया है. सनातन धर्म के अनुसार इससे पुनित कार्य दूसरा कोई नहीं हो सकता. उन्होने लोगों से दान की प्रवृत्ति अपने अंदर जीवित रखने का संकल्प दिलाया. उन्होने कहा कि नेत्रदान महादान है. दुनिया से जाने के बाद भी आप के नेत्रों से दूसरे दुनिया को देखते हैं. इस पवित्र कार्य के लिए जिन्होंने नेत्रदान किया, उन्हें सम्मानित करने का मौका मिला, ये मेरे लिए सौभाग्य कि बात है,उन्होंने ये भी कहा कि इसके लिए सरकार की ओर से भी विशेष प्रयास किया जा रहा है. दिल्ली एम्स के चिकित्सकों के समझाने के बाद दुर्घटना में मृत 17 वर्ष के एक युवक के माता पिता ने उसका अंग दान कर दिया.

वहीं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी एवं केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चैबे की तरह मैं भी आज अपना नेत्रदान करने की घोषणा करता हूं. इसके लिए आवश्यक कानूनी प्रावधान भी मैं शीघ्र ही पूरा करूंगा. दधीचि देहदान समिति के तत्वाधान में आयोजित इस समारोह का उन्होंने उद्घाटन किया. समारोह में अपने पुराने साथी सुशील कुमार मोदी और अश्विनी चैबे की बात सुनने के बाद उन्होनें अपने भाषण में यह घोषणा कर दी.

समारोह के मुख्य अतिथि सिक्किम के राज्यपाल और दधीचि देहदान समिति के अध्यक्ष गंगा प्रसाद ने कई मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि केवल देहदान के संकल्प से ही काम नहीं बनता. देहदान करने के बाद अपने परिवार को भी मानसिक रूप से इस काम के लिए तैयार करना होगा. नहीं तो परिवार के विरोध की स्थिति में देहदान की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाती है. उन्होंने कई ऐसा घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि देहदान से संबंधित भ्रांतियों को दूर करने के लिए सामाजिक आंदोलन की आवश्यकता है.

वहीं बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि बिहार में भी अंगदान का माहौल बनने लगा है. एम्स में गुर्दा प्रत्यर्पण का काम सफलतापूर्वक हो रहा है. वहीं पीएमसीएम सहित दिन मेडिकल कालेज अस्पतालों में नेत्रदान की सुविधा हो गयी है. इस साल के अंत तक बिहार के सभी मेडिकल कालेजों में कार्निया बैंक काम करने लगेगे.
इस अवसर पर अंगदान करने वाले परिवार के सदस्यों को भी सम्मानित किया गया.