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इसरो ने ऐलान कियाChandrayaan-2 की लॉन्चिंग की डेट, सभी तकनीकी खामियां सुधारी गईं!

चंद्रयान-2 को अब 22 जुलाई को लॉन्च करने का फैसला किया गया है.पहले इसे 15 जुलाई को लॉन्च किया जाना था लेकिन तकनीकी खराबी के कारण लॉन्च टाल दिया गया.इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग सोमवार सुबह दो बजकर 43 मिनट पर होगी.लॉन्च टलने के बाद 21 और 22 जुलाई के बीच दोबारा… Read More »इसरो ने ऐलान कियाChandrayaan-2 की लॉन्चिंग की डेट, सभी तकनीकी खामियां सुधारी गईं!
 
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चंद्रयान-2 को अब 22 जुलाई को लॉन्च करने का फैसला किया गया है.पहले इसे 15 जुलाई को लॉन्च किया जाना था लेकिन तकनीकी खराबी के कारण लॉन्च टाल दिया गया.इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग सोमवार सुबह दो बजकर 43 मिनट पर होगी.लॉन्च टलने के बाद 21 और 22 जुलाई के बीच दोबारा कोशिश पर विचार किया जा रहा था और अंत में 22 जुलाई की तारीख तय की गई.

बता दें कि हर लॉन्च में एक समय सीमा होती है जिसके अंदर वे नतीजे मिलने की संभावना होती है, जिनके लिए लॉन्च किया जा रहा है.15 जुलाई को यह समय सबसे ज्यादा 10 मिनट का था लेकिन इसरो के पास बाकी महीने में हर दिन एक मिनट का समय है.

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चंद्रयान-2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. इस रॉकेट में तीन मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान होंगे.इस मिशन के तहत इसरो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर को उतारेगा.इस बार चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो होगा. यह चंद्रयान-1 मिशन 1380 किलो से करीब तीन गुना ज्यादा है.लैंडर के अंदर मौजूद रोवर की रफ्तार 1 सेमी प्रति सेकंड रहेगी.

इसरो ने ऐलान कियाChandrayaan-2 की लॉन्चिंग की डेट, सभी तकनीकी खामियां सुधारी गईं!

वैज्ञानिकों के मुताबिक 31 जुलाई तक न लॉन्च कर पाने की स्थिति में चंद्रयान के लिए ज्यादा ईंधन की जरूरत होगी.इसके अलावा फिलहाल चंद्रयान का लक्ष्य एक साल तक चांद का चक्कर लगाने का है लेकिन सही समय पर लॉन्च न होने से यह वक्त 6 महीने तक भी घट सकता है.संभावित लॉन्च को देखते हुए 18 जुलाई से लेकर 31 जुलाई तक दोपहर 2 बजे से लेकर 3:30 बजे तक के लिए अलर्ट जारी किया गया है.

इसरो ने ऐलान कियाChandrayaan-2 की लॉन्चिंग की डेट, सभी तकनीकी खामियां सुधारी गईं!

चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा. इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है.ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके.वहीं, लैंडर और रोवर चांद पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर काम करेंगे। लैंडर यह जांच करेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं.जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा.