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अश्वनी चौबे ने कैब को शरणार्थियों के लिए बताया भविष्य का मरहम

मालूम हो कि जब से नागरिकता संसोधन बिल लोकसभा और राज्य सभा दोनों से पास हुआ तब से मुसलमानों में एक डर का माहौल बना हुआ है. हाल यह है कि इस बिल को अपना मुददा बनाकर कई अलग-अलग विरोधी दल अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के चक्कर में लोगों तक गलत संदेश फैलाने की कोशिश… Read More »अश्वनी चौबे ने कैब को शरणार्थियों के लिए बताया भविष्य का मरहम
 

मालूम हो कि जब से नागरिकता संसोधन बिल लोकसभा और राज्य सभा दोनों से पास हुआ तब से मुसलमानों में एक डर का माहौल बना हुआ है. हाल यह है कि इस बिल को अपना मुददा बनाकर कई अलग-अलग विरोधी दल अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के चक्कर में लोगों तक गलत संदेश फैलाने की कोशिश में लगे हैं. शायद यही वजह रही कि कई जगह दंगा जैसा माहौल भी उत्पन्न हुआ लेकिन प्रशासन ने संभाल लिया. सरकार के सभी नेता लागातार सभी धर्म के लोगों काे शांति बरतने के लिए अनुरोध कर रहे हैं.

इसी बिच बीजेपी के केन्द्रीय मंत्री अश्वनी चौबे ने भी बिल को बेहतर बताते हुए कहा है कि यह फैसला पीड़ित शरणार्थियों के लिए भविष्य में मरहम का काम करेगा. चौबे ने यह भी कहा कि भारत के या बाहर के किसी भी मुसलमानो को डरने की कोई बात नही है. चौबे कहा कि वर्ष 1947 में देश के विभाजन के बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान तथा 1971 में बांग्लादेश के गठन के बाद वहां के कुछ वर्ग पर अत्यधिक अत्याचार किया गया था जिसका सुनने वाला कोई नही था, जिसके बाद से पीड़ित परिवार का बहुत बड़ा जनसंख्या भारत में शरणार्थी के रूप में वर्षों से रह रहा है.

आगे चौबे ने अपने विरोधियों पर तंज कसते हुए साफ किया की मुस्लिमों को किसी के भी बात मेॆ आने की जरूरत नहीं है. क्योंकि उनके प्रति कोई भेदभाव नही किया गया है इस बिल में शरणार्थियों को नागरिकता देने की बात कही गई है. यह विधेयक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंग्लादेश के शरणार्थियों पर इस लिए लागू किया जाता है क्योंकि यह तीनो मुस्लिम राष्ट्र है. यहां मुस्लिम बहुसंख्या में है, इसलिए यहां मुस्लिमो पर अत्याचार की बात हो ही नही सकती है।

चौबे ने कहा कि पूर्व में भी कॉंग्रेस सरकार ने कई बार ऐसा विधेयक लाया है जिसमे सिर्फ श्रीलंका के तमिलो, यूगांडा के हिन्दुओ तथा अन्य विशेष देशों के सिर्फ विशेष अल्पसंख्यकों को देने का प्रावधान हुआ था। तत्कालीन सरकारों की लापरवाही और वोट बैंक की राजनीति ने लाखों लोगों के साथ यह अन्याय को न्योता दिया था, जिसे भाजपा नीति केंद्र सरकार के राष्ट्रवादी विचारों से ओतप्रोत होकर आज देश से अन्याय का एक कलंक खत्म कर दिया गया.

चौबे ने कहा कि भारतवर्ष में हजारों वर्षों से दुनिया के सभी हिस्सों से धर्म या अन्य आधार पर आये पीड़ित लोगों को शरण मिलता रहा है। पारसी, यहूदी, ईसाई, मुसलमान, जैन, बौद्ध, तमिल सहित सभी यहां शरणार्थी बनकर सैकड़ो. हजारों वर्षों से रह रहे हैं। लेकिन वर्ष 1947 के बाद से अफगानिस्तान और पाकिस्तान तथा 1971 से बांग्लादेश में भारतवर्ष से गये नागरिको पर अमानवीय अत्याचार हुए। लेकिन पहले की सरकार ने भारतवंशियों के इस अमानवीय कष्ट को दूर करने के लिए आजतक कुछ नही किया।