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सीएम को खुश करने के लिए अधिकारियों ने सिखाया- ‘सीएम को बताना सब ठीक है’

बिहार में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण कई लोगों के साथ भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है. जिसको देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के कई जिलों में सामुदायिक किचन की व्यवस्था करवाई है. इसके लिए जिले के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वो लोगों को बढ़िया से… Read More »सीएम को खुश करने के लिए अधिकारियों ने सिखाया- ‘सीएम को बताना सब ठीक है’
 
सीएम को खुश करने के लिए अधिकारियों ने सिखाया- ‘सीएम को बताना सब ठीक है’

बिहार में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण कई लोगों के साथ भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है. जिसको देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के कई जिलों में सामुदायिक किचन की व्यवस्था करवाई है. इसके लिए जिले के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वो लोगों को बढ़िया से बढ़िया खाना उपलब्ध करवाए. जिसे लेकर सोमवार को नीतीश कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वहां का जायजा भी लिया.

दरअसल, बिहार में कोरोना को लेकर इंतजाम का जायजा लेने के लिए CM नीतीश ने बिहार के कई जिलों में वर्चुअल टूर का कार्यक्रम बनाया था. नीतीश कुमार जिलों में किए जा रहे इंतजाम देखना चाहते थे और लोगों से सीधे बात कर जमीनी हकीकत से रूबरू होना चाहते थे. सामुदायिक किचन में गरीब और मजबूर लोगों के लिए सरकारी इंतजाम पर खाने की व्यवस्था बिहार सरकार ने शुरू की है. मकसद है कोई भूखा न रहे और लोगों को सहूलियत हो.

हाजीपुर में जिस सामुदायिक किचन का नीतीश वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वर्चुअल दौरा करने वाले थे, वहां सुबह से ही जबरदस्त इंतजाम दिखा. बैनर-पोस्टर, साफ-सफाई से लेकर हर इंतजाम चकाचक किया गया. पूरा प्रशासनिक अमला सुबह से ही किचन केंद्र पर जमे थे. लेकिन CM के वर्चुअल दौरे से ठीक पहले हाजीपुर के इस सामुदायिक किचन केंद्र पर एक तस्वीर कैमरे में कैद हुई जो बताता है कि सरकार को फील गुड कराने के लिए स्थानीय स्तर पर अधिकारी किस तरह सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं.

दरअसल, किचन में मिलने वाले खाने में या फिर किसी अन्य बात की कोई शिकायत न हो इसके लिए अधिकारी खाना खाने वाले लोगों को समझाते दिखे कि CM साहब से बात हो तो उन्हें क्या कहना है, कैसे कहना है.

सरकार के इंतजाम को जमीनी स्तर पर पूरा कराने की जिम्मेदारी अधिकारियों की होती है. कई मौकों पर इंतजाम बेहतर भी होते हैं, लेकिन अगर कहीं कोई कमी रह गई हो तो सरकार में बैठे मंत्री या मुख्यमंत्री जनता से संवाद से ही हकीकत जान पाते हैं. ऐसे में CM से बात कराने से पहले जिस तरह से अधिकारियों ने लोगों को पट्टी पढ़ाई, उसे कहीं से भी ठीक नहीं माना जा सकता है.