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बिहार में अब शराब पीने वालों को नहीं होगी जेल?....दबाव के बाद शराबबंदी कानून में नीतीश सरकार करने जा रही है बदलाव

 
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर लगातार बवाल मच रहा है। तथाकथित जहरीली शराब से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ने के बाद से एक तरफ जहां विपक्षी पार्टियां सरकार पर दबाव बना रही हैं। वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने भी शराबबंदी के कानून को लेकर फजीहत की है। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने शराबबंदी कानून के कारण अदालत पर बढ़ने वाले दबाव की बात कही है। वहीं इन सब के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मौजूदा कानून में संशोधन करने जा रही है। 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 

राज्य सरकार मौजूदा कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव तैयार कर रही है। नए प्रस्ताव के अनुसार शराब पीते पकड़े जाने पर पुलिस या मद्य निषेध विभाग के अधिकारी ऑन द स्पॉट फैसले लेकर छोड़ सकेंगे। लेकिन बार-बार ऐसा जुर्म करने वालों को जेल भेजे जाने के भी प्रावधान का प्रस्ताव है। शराब से जुड़े सामान्य मामलों में राहत देने पर विचार किया जा रहा है। इतना ही नहीं सरकार संशोधन के प्रस्ताव को तैयार कर रही है उसमें यह नियम भी हो सकता है कि शराब के धंधे में पकड़ी गई गाड़ियों को पेनाल्टी देकर छोड़ दिया जाए। वहीं शराब से संबंधित मामलों में जल्द निपटारे के लिए जिलों में न्यायालय की संख्या बढ़ाने की भी व्यवस्था की जा सकती है। संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर इस गृह और विधि विभाग के पास भेजा गया है। 

खबरों की मानें तो आगामी बजट सत्र में इसे विधानसभा के अंदर पेश भी दिया जाएगा। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि शराबबंदी कानून में संशोधन किया जाए। इसके पहले साल 2018 में भी संशोधन किया गया था और तब जमानत की व्यवस्था दी गई थी। बिहार मद्य निषेध और उत्पाद शुल्क (संशोधन) कानून 2018 के तहत शराब पीते हुए पकड़े जाने के अपराध को जमानती बनाया गया। शराब पीते हुए पकड़े जाने पर पुलिस स्टेशन में ही जमानत का प्रावधान है। वहीं, 50 हजार रुपये का जुर्माना अदा करने के बाद दोषी को रिहा का प्रावधान है जबकि मूल कानून में 10 साल की जेल का प्रावधान था।

केके पाठक
अपर मुख्य सचिव केके पाठक

बता दें कि बिहार के नालंदा जिले के सोहसराय थाना क्षेत्र के छोटी पहाड़ी में कथित रूप से जहरीली शराब पीने से 13 लोगों ने जान गंवाई है। इसे लेकर विपक्ष के साथ-साथ अब भाजपा भी मुख्यमंत्री नीतीश सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस, राजद समेत सभी पार्टियों का कहना है कि इस शराबकांड के पीछे जिन लोगों का हाथ हैं उन्हें सख्त सजा दी जाए। ऐसे तमाम लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए। ताकि भविष्य में आगे ऐसा कुछ नहीं हो। वहीं अब इस घटना को लेकर उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने बताया कि उत्पाद आयुक्त की जांच रिपोर्ट के आधार पर नालंदा शराब कांड के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

केके पाठक ने कहा कि पुलिस भी अपने स्तर से इस मामले की जांच कर रही है। पिछले दो दिनों से जहरीली शराब कांड की गुत्थी सुलझाने में मद्य निषेध विभाग और पुलिस के अधिकारी जुटे हुए हैं। पूरे इलाके में स्पेशल ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इसके अलावा छोटी पहाड़ी इलाके में जो भी शराब का धंधा रह रहे हैं उनके घरों को चिन्हित कर उनके घरों को वहां से हटाने का काम किया जा रहा है। सोहसराय थाना क्षेत्र के छोटी पहाड़ी पर बने 62 घरों को चिन्हित किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार, छोटी पहाड़ी के पहाड़ टल्ली घटनास्थल का मध निषेध विभाग के आईजी, मध निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग के सचिव, एडीजी लॉ ऑर्डर, पटना प्रक्षेत्र के आईजी ने घटनास्थल का जायजा लिया।

जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों से मिलने नालंदा पहुंचे चिराग पासवान
जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों से मिलने नालंदा पहुंचे चिराग पासवान 

मालूम हो कि इस शराबकांड के बाद से राजनीति भी तेज हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले में शराब से जुड़े इतने बड़े कांड पर वह घिरते नजर आ रहे हैं। विपक्ष तो हमलावर है ही, सत्ता पक्ष के भाजपा और हम भी निशाना साध रहे हैं। इधर, जमुई सांसद चिराग पासवान भी नालंदा पहुंचे हैं। मृतक के परिजनों से मुलाकात कर रहे हैं। चिराग पासवान ने बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। वहीं अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून में संशोधन का फैसला लिया है। 
 

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