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समस्तीपुर के 17 वर्षीय रामजी राज को मिलेगा 'एशिया आइकॉन अवॉर्ड 2025', NASA के 'हॉल ऑफ फेम' सूची में हैं शामिल

 

बिहार के समस्तीपुर जिले के पाहेपुर गांव से ताल्लुक रखने वाले 17 वर्षीय रामजी राज ने अपनी प्रतिभा से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है। नासा की वेबसाइट में साइबर सुरक्षा से जुड़ी खामियां खोजकर चर्चा में आए रामजी अब मलेशिया में आयोजित एक वैश्विक समारोह में 'एशिया आइकॉन अवॉर्ड 2025' से सम्मानित किए जाएंगे।

रामजी राज ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की वेबसाइट में एक बड़ी तकनीकी कमजोरी (साइबर वल्नरेबिलिटी) का पता लगाया, जिससे अंतरिक्ष एजेंसी को समय रहते संभावित खतरे से बचाया जा सका। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की वेबसाइट में भी साइबर कमजोरियों की जानकारी देकर साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया।

'एशिया का यंगेस्ट एथिकल हैकर' के रूप में सम्मानित

'एशिया का यंगेस्ट एथिकल हैकर' के रूप में सम्मानित
उनकी उपलब्धियों को देखते हुए मलेशिया में उन्हें ‘एशिया आइकॉन ऑफ द ईयर – यंगेस्ट एथिकल हैकर (इंडिया)’ का खिताब दिया जाएगा। यह सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत योगदान का प्रमाण है, बल्कि यह भारत की युवा पीढ़ी की क्षमता और तकनीकी कौशल का भी प्रतीक है।

यूएसए बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम
रामजी राज का नाम ‘Youngest Ethical Hacker from India’ के तौर पर यूएसए बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज किया गया है। इसके अलावा उनकी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित परियोजना को भारत सरकार के 'Youth for Unnati and Vikash with AI' कार्यक्रम के तहत देश की शीर्ष 50 AI-समाधानों में शामिल किया गया है। डिजिटल इंडिया प्लेटफॉर्म ने उन पर एक विशेष डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की है।

रामजी का सपना: सुरक्षित और तकनीकी रूप से समृद्ध दुनिया
सम्मान मिलने पर अपनी प्रतिक्रिया में रामजी ने कहा, "यह पुरस्कार सिर्फ मेरा नहीं है, बल्कि हर उस भारतीय युवा का है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है। मेरा लक्ष्य है कि एआई और साइबर सुरक्षा के माध्यम से एक सुरक्षित, बेहतर और तकनीकी रूप से सक्षम समाज का निर्माण हो सके।"

कौन हैं रामजी राज?
रामजी राज एक युवा एथिकल हैकर हैं, जिन्होंने न केवल नासा की साइट में तकनीकी खामियां खोजी हैं, बल्कि साइबर सुरक्षा और एआई के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण अनुसंधान किए हैं। महज 17 साल की उम्र में उनकी उपलब्धियां उन्हें भारत का सबसे युवा एथिकल हैकर बनाती हैं।