बिहार SIR 2025 अपडेट: मृत और दोहरी प्रविष्टियों वाले मतदाताओं की पहचान तेज
बिहार में SIR (Special Intensive Revision) अभियान के तहत मतदाता सूची को शुद्ध और अद्यतन बनाने की प्रक्रिया तेजी से जारी है। इस अभियान का मूल उद्देश्य है कि कोई भी योग्य मतदाता सूची से वंचित न रह जाए। इस दिशा में चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों पर जिला स्तर से लेकर बूथ स्तर तक कार्य किया जा रहा है।

मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
राजनीतिक दलों के साथ साझा हुई सूची
20 जुलाई को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को बूथवार संभावित त्रुटियों वाली सूची सौंपी गई, जिसमें वे मतदाता शामिल हैं जिन्होंने फॉर्म नहीं भरे हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है, या जो स्थायी रूप से दूसरी जगह चले गए हैं। यह विवरण BLOs, EROs, DEOs और CEOs द्वारा तैयार किया गया है।
दावा और आपत्ति की अंतिम तिथि 1 सितंबर
आयोग के निर्देश के अनुसार किसी भी प्रकार की गलती — जैसे नाम हटना या गलत नाम शामिल होना — के लिए मतदाता अथवा दल 1 सितंबर 2025 तक आपत्ति या दावा दर्ज कर सकते हैं।
99% मतदाता कवरेज पूरा
अब तक राज्यभर में 99% मतदाताओं का सर्वेक्षण हो चुका है, जिससे सूची की सटीकता सुनिश्चित हो रही है।
21.6 लाख मृत मतदाताओं की पहचान
BLOs और बीएलए की रिपोर्ट में 21.6 लाख ऐसे मतदाताओं के नाम सामने आए हैं जिनका निधन हो चुका है।
31.5 लाख पलायन कर चुके लोग
इसी प्रकार 31.5 लाख मतदाता ऐसे पाए गए जो स्थायी रूप से अन्यत्र स्थानांतरित हो चुके हैं।
दोहरी प्रविष्टियां
लगभग 7 लाख मतदाता ऐसे मिले हैं जिनके नाम एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत हैं, जिनकी पहचान और सुधार की प्रक्रिया चल रही है।
1 लाख मतदाता अब तक अपहचान
सर्वेक्षण के दौरान करीब 1 लाख मतदाता ऐसे हैं जिनकी पहचान संभव नहीं हो सकी है।
7 लाख से अधिक लोगों के फॉर्म अब भी नहीं मिल पाए
घर-घर सर्वे के बावजूद 7 लाख से अधिक मतदाताओं से फॉर्म प्राप्त नहीं हो सके हैं, जिस पर कार्यवाही जारी है।
7.21 करोड़ फॉर्म का डिजिटलीकरण पूरा
अब तक 91.32% यानी 7.21 करोड़ मतदाता फॉर्म प्राप्त कर उन्हें डिजिटलीकृत कर लिया गया है। इन नामों को प्रारंभिक मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा। शेष फॉर्मों की जाँच और डिजिटल एंट्री प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
ड्राफ्ट मतदाता सूची 1 अगस्त को होगी प्रकाशित
आयोग ने घोषणा की है कि 1 अगस्त 2025 को प्रारंभिक मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। यह सूची सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को दी जाएगी और आम जनता के लिए भी उपलब्ध होगी ताकि वे 1 सितंबर तक किसी भी विसंगति पर आपत्ति दर्ज करा सकें।







