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बिहार में वोटर लिस्ट की 'सर्जरी': 17 लाख से ज्यादा वोटरों के पते बदले, चुनावी तापमान बढ़ा

 

Patna: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण ने राजनीतिक गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी है। राज्य भर में 17 लाख 37 हजार 336 मतदाता ऐसे पाए गए हैं, जो अब पहले के पते से कहीं और जा बसे हैं। चुनाव आयोग के निर्देश पर राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने सभी ज़िलों को ऐसे स्थानांतरित मतदाताओं का संपूर्ण डेटा संकलित करने के आदेश दिए हैं। यह कार्रवाई सिर्फ प्रशासनिक कवायद नहीं, बल्कि आगामी चुनावों की रूपरेखा बदल सकने वाला कदम माना जा रहा है।

देहात में प्रक्रिया लगभग पूरी, शहरों में अभी भी चुनौतियाँ

गांव-देहातों में जहां गणना फॉर्म भरने का काम लगभग पूरा हो चुका है, वहीं शहरी क्षेत्रों में यह कार्य अब भी अटका हुआ है। शहरों में मतदाताओं की भागीदारी कम होने और सूचना की पहुंच न होने जैसी समस्याओं के समाधान के लिए आज से विशेष शहरी शिविरों की शुरुआत हुई है। इन कैंपों में मतदाता फॉर्म भर सकेंगे, जमा कर सकेंगे या चाहें तो ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए भी इसे पूरा कर सकते हैं।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने खासतौर पर शहरी मतदाताओं से अपील की है कि वे समय रहते यह फॉर्म भरें, क्योंकि इन्हीं डिटेल्स के आधार पर प्रारूप मतदाता सूची तैयार की जाएगी, जो आगे चलकर अंतिम सूची का आधार बनेगी।

पटना से चौंकाने वाले आंकड़े

पटना ज़िले की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले बदलाव सामने आए हैं। मोकामा की रेलवे कॉलोनी में बड़ी संख्या में मतदाता अपना ठिकाना बदल चुके हैं। दीघा के बूथ संख्या 28 से 330 मतदाता अटल पथ के निर्माण की वजह से विस्थापित हो चुके हैं।

वहीं, नकटा दियारा (बूथ 213) के 80 मतदाता अब सारण ज़िले में शामिल हो गए हैं। बूथ संख्या 342 के 350 मतदाता और धोबी घाट के 227 मतदाता भी अब अन्य स्थानों पर स्थानांतरित हो चुके हैं। झुग्गी इलाकों से जुड़े बूथ 215 के 340 मतदाता भी अब सूची में भिन्न पते पर दर्ज हैं।

क्या है यह पुनरीक्षण और क्यों है महत्वपूर्ण?

चुनाव आयोग हर कुछ वर्षों में मतदाता सूची को अपडेट करता है, लेकिन इस बार का ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ सामान्य प्रक्रिया से कहीं ज़्यादा व्यापक और बारीक है। मकसद है स्वच्छ, अद्यतन और भरोसेमंद वोटर लिस्ट। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के मुताबिक, यह प्रयास केवल संख्या सुधारने का नहीं, बल्कि पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया की नींव मजबूत करने का है।

राजनीतिक असर और भविष्य की झलक

यह डेटा सियासी दलों को भी साझा किया जाएगा। स्पष्ट है कि जैसे-जैसे नामों की अदला-बदली की तस्वीर साफ़ होती जाएगी, राजनीतिक दल अपनी रणनीति में फेरबदल करेंगे। कौन सा इलाका अब किस तरह वोट करेगा। यह सवाल हर पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है।