बिहार के मढ़ौरा से विदेशी धरती तक पहुंचा स्वदेशी रेल इंजन, गिनी को 150 डीजल इंजन भेजेगा भारत

‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को गति देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के सारण जिले के मढ़ौरा से अत्याधुनिक डीजल रेल इंजन को वर्चुअली हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह पहली बार है जब बिहार में बना कोई रेल इंजन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात किया जा रहा है।
करीब 3,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुए 140 लोकोमोटिव इंजनों की इस डील ने ‘मेक इन इंडिया’ को नई उड़ान दी है। इसके तहत आने वाले तीन वर्षों में कुल 150 डीजल इंजन पश्चिम अफ्रीकी देश गिनी को भेजे जाएंगे। इन इंजनों का उपयोग गिनी में खनिज माल ढोने के लिए किया जाएगा।

2018 से निर्माणरत मढ़ौरा फैक्ट्री की सफलता
2018 में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर स्थापित यह संयंत्र अब तक कुल 729 डीजल इंजन बना चुका है, जिनमें 4,500 हॉर्स पावर के 545 और 6,000 हॉर्स पावर के 184 इंजन शामिल हैं। अमेरिकी कंपनी वैबटेक और भारतीय रेलवे के सहयोग से चल रही इस फैक्ट्री ने वैश्विक टेंडर जीतकर यह सौदा हासिल किया।
हालांकि, राजनीतिक विवादों के बीच अब भी इन इंजनों पर ‘मेड इन मढ़ौरा’ की मुहर नहीं लगाई जाती। इंजन पर 'मेड इन गांधीधाम' या 'मेड इन यूपी' का उल्लेख किया जाता है, जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी बनी हुई है।
तकनीकी रूप से उन्नत इंजन
गिनी को भेजे जा रहे ये डीजल इंजन कई आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं—जैसे एयर कंडीशनिंग, टॉयलेट, विंडशील्ड हीटर और इंसुलेटेड छत। यह पहल न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को दर्शाती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में देश के औद्योगिक उत्पादों की बढ़ती स्वीकार्यता को भी सिद्ध करती है।
इस कार्यक्रम के अवसर पर रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी वीपी सिंह, पंकज शर्मा, संजय सिंहल, अजय सिंह और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। ट्रेन को चलाने की जिम्मेदारी लोको पायलट दिलीप कुमार और सहायक लोको पायलट श्वेता कुमारी ने संभाली।