Jharkhand HC: असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति का रास्ता साफ, गरीब सवर्णों को मिलेगा 10 % आरक्षण

झारखंड के असिस्टेंट इंजीनियर के लिए एक अच्छी खबर है। असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति में राज्य के गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के मामले में हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंगन मुखोपाध्याय और न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश शंकर की अदालत ने एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया है। साथ ही स्पष्ट आदेश दिया है कि राज्य के 10 प्रतिशत गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए। अदालत ने राज्य सरकार और आयोग को शीघ्र नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण करने का आदेश दिया है।
दरअसल, जेपीएससी ने वर्ष 2019 में असिस्टेंट इंजीनियर के 634 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला था, जिसमें 10 प्रतिशत गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ दिया गया था। उसके बाद नियुक्ति में पीटी की परीक्षा ले ली गई। पीटी का रिजल्ट भी प्रकाशित कर दिया गया। 21 जनवरी 2021 को मुख्य परीक्षा की तिथि से 1 दिन पूर्व हाई कोर्ट की एकल पीठ ने विज्ञापन रद्द कर फिर से विज्ञापन निकालने का आदेश दिया।

इस दौरान रंजीत कुमार शाह की ओर से अधिवक्ता सौरभ शेखर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि, असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति में गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ देना उचित नहीं, क्योंकि असिस्टेंट इंजीनियर की जो नियुक्ति हो रही है, उसमें जो रिक्त पद है, वह वर्ष 2019 से पूर्व के हैं। जबकि गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का नियम 2019 में बना है। यह आरक्षण 2019 से लागू किया जा सकता, इससे पूर्व के रिक्त पद पर यह नियम लागू नहीं किया जा सकता। इसलिए इस याचिका को रद्द कर दिया जाए और फ्रेश विज्ञापन निकालने का आदेश दिया जाए।
वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार और झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से अधिवक्ता प्रिंस कुमार ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इस नियुक्ति के लिए विज्ञापन 2019 में निकाला गया, उससे पूर्व ही आरक्षण संबंधी नियम बना दिए गए थे और लागू भी कर दिए गये थे। इस लिहाज से सरकार को पूरा अधिकार है कि वह इस तरह का विज्ञापन निकाल सके और आरक्षण दे सके। बता दें, राज्य सरकार की ओर से हाई कोर्ट के डबल बेंच में चुनौती दी गई, जिस पर सुनवाई पूर्ण कर अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया था।
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