कारगिल में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए नवादा के सपूत मनीष कुमार को नम आंखों से अंतिम विदाई

कारगिल में ऑपरेशन रक्षक के तहत तैनात बिहार के नवादा जिले के जवान मनीष कुमार (उम्र 22 वर्ष) का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह उनके पैतृक गांव पांडेय गंगौट पहुंचा। जैसे ही तिरंगे में लिपटा उनका शव गांव की सीमा में प्रवेश किया, पूरा इलाका शोक में डूब गया। हर आंखें नम थीं, लेकिन फिजाओं में गूंज रहे 'भारत माता की जय' के जयघोषों ने माहौल को गर्व से भर दिया।
गांव में मनीष कुमार की अंतिम यात्रा निकाली जा रही है, जिसमें हजारों की संख्या में लोग भाग ले रहे हैं। बच्चे, बुजुर्ग और युवा हाथों में तिरंगा लिए सड़क के किनारे खड़े होकर अपने वीर बेटे को श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं। अंतिम संस्कार दोपहर करीब 1 बजे राजकीय सम्मान के साथ संपन्न होगा।

इससे पहले शुक्रवार को शहीद का पार्थिव शरीर पटना एयरपोर्ट लाया गया था, जहां डिप्टी सीएम सहित बिहार सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
सेवा के दौरान तबीयत बिगड़ी, नहीं बचाई जा सकी जान
भारतीय सेना के ऑपरेशन रक्षक में बतौर नर्सिंग स्टाफ कारगिल में तैनात मनीष कुमार की 14 मई की सुबह ड्यूटी के दौरान अचानक तबीयत बिगड़ गई। वे वहीं बेहोश होकर गिर पड़े। तत्काल उन्हें सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान 15 मई को उनका निधन हो गया। सेना ने उसी दिन उनके परिजनों को यह दुखद सूचना दी।
शादी के तीन महीने बाद टूटा जीवनसाथी का साथ
मनीष ने तीन महीने पहले ही खुशबू नाम की युवती से विवाह किया था। पति की शहादत की खबर ने उन्हें गहरे सदमे में डाल दिया है। वे बार-बार यही कह रही हैं, “वो वादा कर के गए थे कि जल्दी लौटेंगे…” भावुक होते हुए उन्होंने कहा कि अब वह भी सेना में शामिल होकर देश की सेवा करना चाहती हैं।
गांव में गम का माहौल है, लेकिन साथ ही अपने बेटे की बहादुरी पर गर्व भी है। आज जब मनीष की अंतिम यात्रा निकलेगी, तो पूरा गांव देशभक्ति के रंग में डूबा होगा और नम आंखों से अपने शहीद को आखिरी सलाम देगा।