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बिहार के पुरातत्व पर जिलावार कार्य करने की आवश्यकता- प्रो जयदेव

 
पटना: बिहार के पुरातत्व पर जिलावार कार्य करने की आवश्यकता है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में अपने विरासत को संरक्षित रखने की ठोस नीति है। हर थानेदार को तबादले के समय अपने पुरातात्विक स्थलों से मिली वस्तुओं की सूची अगले थानेदार को देनी पड़ती है। बिहार में ऐसा नहीं होने के कारण यहां से प्राचीन वस्तुओं और मूर्तियों की सर्वाधिक चोरी हो रही है। उक्त जानकारी बिहार के प्रमुख पुरातत्ववेत्ता और पटना विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. जयदेव मिश्र ने दी। 
 पटना के बी. डी. कॉलेज में आयोजित *'बिहार के पुरातात्विक स्थल'* विषयक परिचर्चा को संबोधित करते हुए प्रो. जयदेव मिश्र ने कहा कि वैज्ञानिक अध्ययन के लिए पुरातत्व का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है। वैज्ञानिक साक्षी के बिना प्राचीन इतिहास एक जातक कथा ही है। कार्यक्रम का आयोजन संस्था *संधान* तथा बी. डी. महाविद्यालय, मीठापुर के प्राचीन एवं एशियाई अध्ययन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।
 कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए संस्था संधान के सचिव संजीव कुमार ने बताया कि मगध और पाटलिपुत्र भारतीय राजनीति का एक हज़ार वर्षों तक केंद्र बिंदु रहा है। एशिया महादेश में राजनीति का सबसे शक्तिशाली क्षेत्र यह था। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा इतिहास के जिज्ञासु विद्यार्थियों के लिए ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण की विस्तृत योजना बनाई है। आम लोगों को भी अपने गौरवशाली अतीत से परिचित कराने के लिए संस्था सतत कार्य करेगी।
 अध्यक्ष उद्बोधन करते हुए प्रार्थना अध्यापक प्रोफेसर विवेकानंद सिंह ने प्राचीन इतिहास को प्रमाणिक तथ्यों के साथ प्रचारित करने की आवश्यकता बताई। प्राचीन इतिहास एवं एशियाई अध्ययन की विभाग की अध्यक्ष डॉ. नीतू तिवारी ने अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने बताया कि प्रत्येक गुरुवार को विभाग द्वारा गुरु गौरव कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। कार्यक्रम का मंच संचालन आकांक्षा श्रेय ने किया।