संयम ही सच्चा नेतृत्व है : दरभंगा में बोले तुषार गांधी, तेजस्वी यादव को दी मर्यादा में रहने की नसीहत

Bihar: इस वक़्त की बड़ी खबर राजनीतिक गलियारों से आ रही है, जहां उस समय बिहार में हलचल मच गई जब तेजस्वी यादव ने “सूत्र को मूत्र” जैसे भाषा का इस्तेमाल किया। जिसके बाद कुछ सोशल मीडिया पर उनका यह बयान वाइरल हो गया। इसी को लेकर महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने दरभंगा में चल रहे ‘बदलो बिहार- बनाओ नयी सरकार’ अभियान में शामिल होकर प्रदेश की राजनीति पर बेबाक राय रखी। उन्होंने न सिर्फ तेजस्वी यादव की विवादित टिप्पणी पर संतुलित प्रतिक्रिया दी, बल्कि पूरे राजनीतिक विमर्श को मर्यादित बनाए रखने की अपील भी की।
भाषा की मर्यादा ही लोकतंत्र की आत्मा है
हाल ही में राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा एक पत्रकार के लिए “सूत्र को मूत्र” जैसी टिप्पणी किए जाने पर जब तुषार गांधी से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा, मैं इस तरह की भाषा का उपयोग नहीं करता। हर किसी को संयम रखना चाहिए, खासतौर पर नेताओं को। क्योंकि जनता उन्हें सुनती है और उनसे सीखती है।

हालांकि तुषार गांधी ने इस प्रसंग में पूरी परिस्थिति जानना ज़रूरी बताया और कहा कि वह किसी भी पक्ष की सीधी आलोचना से बचते हैं। लेकिन उन्होंने यह दोहराया कि राजनीतिक संवाद में भाषा की गरिमा टूटना लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है।
मीडिया पर भी साधा निशाना
तुषार गांधी ने मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा:
- कई बार मीडिया का व्यवहार भी उकसाने वाला हो सकता है। भाषा का स्तर हर ओर गिरा है, यह चिंता का विषय है।
- बिहार को सिर्फ सरकार नहीं, व्यवस्था परिवर्तन भी करनी चाहिए।
- राजनीतिक हालात पर अपनी चिंता ज़ाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार को केवल राजनीतिक बदलाव की नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति की ज़रूरत है।
- राजनीतिक स्वार्थों ने बिहार को गर्त में डाल दिया है। अब जनता को खुद तय करना होगा कि बदलाव सतही होगा या बुनियादी।
मतदाता सूची पर चुनाव आयोग को घेरा
चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के दौरान दस्तावेज मांगे जाने के सवाल पर उन्होंने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया। उन्होंने कहा, ये आज़ाद भारत में पहली बार हो रहा है कि अपने ही देश में वोट देने के लिए नागरिकों से प्रमाण मांगा जा रहा है। ये संविधान विरोधी है, और वोटिंग अधिकारों को कमजोर करने की सोची-समझी साजिश है।