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जयप्रकाश नारायण की धरती से पीके का नया राजनीतिक मिशन, सिताब दियारा से 'बिहार बदलाव यात्रा' का आगाज़

देश में लोकतंत्र की पुकार को बुलंद करने वाले महानायक जयप्रकाश नारायण की कर्मभूमि सिताब दियारा एक बार फिर राजनीतिक चेतना का केंद्र बन गई है। इसी ऐतिहासिक गांव से जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने अपनी 'बिहार बदलाव यात्रा' की शुरुआत की है। यह वही धरती है, जहां से 1975 में इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ 'संपूर्ण क्रांति' का बिगुल फूंक कर लोकतंत्र को एक नई दिशा दी गई थी।

हर विधानसभा तक पहुंचेगा जन सुराज का संदेश
प्रशांत किशोर की यह राज्यव्यापी यात्रा आगामी 120 दिनों में बिहार की 243 विधानसभा सीटों को छूते हुए आगे बढ़ेगी। इस दौरान वे आम लोगों से सीधे संवाद करेंगे, उनकी समस्याएं जानेंगे और उन्हें व्यवस्था परिवर्तन के लिए जागरूक करने की कोशिश करेंगे। इस यात्रा का उद्देश्य है—बिहार की राजनीति को एक नया विकल्प देना और जनता को सक्रिय रूप से भागीदारी के लिए प्रेरित करना।

शहीद को सलामी, फिर जन आंदोलन की ओर कदम
इस यात्रा की शुरुआत से पहले प्रशांत किशोर ने सारण जिले के शहीद मोहम्मद इम्तियाज के घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। यह सम्मानजनक शुरुआत जन सुराज की संवेदनशीलता को भी दर्शाती है। इसके बाद उन्होंने सिताब दियारा का रुख किया, जहां उन्होंने जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया और उनके पुश्तैनी घर का दौरा भी किया।

जेपी के नाम पर सत्ता में मौज, गांव में अंधकार!
जेपी के घर की बदहाल स्थिति देखकर प्रशांत किशोर ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "जेपी के नाम पर उनके अनुयायी अपने घरों में एसी चला रहे हैं, लेकिन यहां जेपी के घर में अंधेरा पसरा है। सरकार चाहे तो हमसे चंदा लेकर यहां बिजली बहाल कर दे।" 

जयप्रकाश नारायण : लोकतंत्र की मशाल, पीढ़ियों के प्रेरणा स्रोत
जयप्रकाश नारायण सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं, जिन्होंने सत्ता के खिलाफ आवाज उठाकर जनता को उसका अधिकार दिलाया। 1965 में मैग्सेसे पुरस्कार और 1999 में भारत रत्न से सम्मानित जेपी आज भी भारतीय राजनीति में आदर्श और संघर्ष की मिसाल हैं। उनकी जीवनगाथा हर पीढ़ी को समाज और राजनीति में बदलाव की प्रेरणा देती है।

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