सम्राट अशोक पर गरमाई राजनीति, PM मोदी से ललन सिंह की मांग, कहा- पद्मश्री वापस ले सरकार
संपूर्ण भारत में अपने शौर्य के कारण पहचाने जाने वाले और मौर्य वंश के संस्थापक अशोक सम्राट के ऊपर तथाकथित अभ्रद टिपण्णी को लेकर बिहार में भी बयानबाजी तेज हो गई है। साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता दया प्रसाद सिन्हा के सम्राट अशोक को औरंगजेब बताने के बाद से कई नेताओं ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। जदयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने इसकी निंदा की है। साथ ही पार्टी और सरकार से इस टिपण्णी के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है। वहीं अब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। एक बयान जारी करते हुए उन्होंने भी इस टिपण्णी को अपमानजनक बताया है।
ललन सिंह ने विवादित बयान को लेकर क्या कहा?
ललन सिंह ने नाटककार दया प्रकाश सिंह से पद्मश्री वापस लेने की मांग की है। उन्होंने दया सिंह द्वारा की गई टिपण्णी को भारत का अपमान बताया है। जदयू नेता ने कहा, " प्रियदर्शी सम्राट अशोक मौर्य बृहत-अखंड भारत के निर्माता थे। उनके बारे में अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल असहनीय है, अक्षम्य है। ऐसा व्यक्ति विकृत विचारधारा से प्रेरित है। राष्ट्रपति, केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी से मांग करता हूं कि ऐसे व्यक्ति का पद्मश्री वापस लें। " ललन सिंह ने आगे कहा कि सम्राट अशोक के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति किसी सम्मान के लायक नहीं हो सकता। ललन सिंह ने नरेंद्र मोदी सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए राष्ट्रपति से आग्रह किया कि दया सिंह का पद्मश्री व सभी अन्य पुरस्कार रद्द किया जाए। साथ ही उन्होंने भाजपा से मांग की है कि दया प्रकाश सिंह को निष्कासित किया जाए।
बिहार के साथ कोई खिलवाड़ करे, सच्चे भारतीय कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे
ललन सिंह ने सम्राट अशोक के बार में बताते हुए कहा कि व सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि भारत के अमिट प्रतीक थे और हैं। सम्राट अशोक मौर्य और बिहार के साथ कोई खिलवाड़ करे, सच्चे भारतीय कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। प्रियदर्शी सम्राट अशोक मौर्य द्वारा स्थापित अशोक स्तंभ और अशोक चक्र राष्ट्रीय प्रतीक के साथ विश्वविख्यात ऐतिहासिक धरोहर भी है। अशोक महान के नाम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार में अनेकों योजनाएं चलाई हैं।
उपेंद्र कुशवाहा ने भी दी थी प्रतिक्रिया
उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट किया, " वृहत अखंड भारत के निर्माता चक्रवर्ती सम्राट प्रियदर्शी अशोक महान के लिए एक पार्टी विशेष के पदाधिकारी द्वारा अभद्रतापूर्वक अपशब्दों का इस्तेमाल अति निंदनीय है। पार्टी और सरकार से उस व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करता हूं। " कुशवाहा ने अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा से पद्मश्री से सम्मानित नाटककार और पार्टी के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक दया प्रसाद सिन्हा के खिलाफ पार्टी स्तर पर कार्रवाई करने की मांग करते हुए कहा कि उन्होंने ने सम्राट अशोक के बारे में बहुत गलत टिप्पणी की है। वह सम्मान पाने योग्य नहीं है और इसे वापस ले लिया जाना चाहिए।
क्या है विवाद का जड़, कौन हैं दया प्रकाश?
हिंदी साहित्य के इतिहास में पहली बार किसी नाटक को साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है। हाल ही में वरिष्ठ लेखक और नाटककार दया प्रकाश सिन्हा को यह पुरस्कार उनके नाटक ‘सम्राट अशोक’ के लिए दिया गया है। संगीत नाटक अकादमी सम्मान, हिंदी सम्मान और पद्मश्री सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित दया प्रकाश सिन्हा ने एक इंटरव्यू में सम्राट अशोक को लेकर कई विवादित बयान दिया। उन्होंने अशोक को भाई का हत्यारा बताकर औरंगजेब से तुलना कर दी और क्रुर बताया। अपने पिता की हत्या का कारण भी लेखक ने अशोक के मत्थे दे दिया। बताया कि अशोक बेहद बदसूरत थे और कामुक भी थे। लेखक ने कहा कि देश के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में भी सम्राट अशोक के उजले पक्ष को ही शामिल किया गया है। जबकि उनकी असलियत इससे अलग थी। श्रीलंका के तीन बौद्ध ग्रंथों का उन्होंने हवाला देकर ये बयान दिया।
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