सनातन महाकुंभ : इस दिन पटना आयेंगे धीरेंद्र शास्त्री, नहीं सजेगा दिव्य दरबार, ये है वजह

पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान 6 जुलाई को एक विशाल धार्मिक आयोजन का गवाह बनने जा रहा है। इस दिन भगवान परशुराम जन्मोत्सव के समापन के अवसर पर सनातन महाकुंभ का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध संत बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी उपस्थित रहेंगे, लेकिन इस बार उनका दरबार नहीं लगेगा। यह जानकारी श्रीराम कर्मभूमि न्यास के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने दी।
महाकुंभ का उद्देश्य सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार, सामाजिक समरसता को बल देना और देश में एकता की भावना को सशक्त करना है। कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल डॉ. आरिफ मोहम्मद खान करेंगे, जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मठ के महंत रूप में उपस्थित रहेंगे। इसके अलावा, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा समेत कई अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री व राज्यपाल भी इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे।

“हनुमत संवाद” में होंगे धीरेंद्र शास्त्री
अश्विनी चौबे ने बताया कि धीरेंद्र शास्त्री "हनुमत संवाद" नामक विशेष सत्र में भाग लेंगे, जहां वे लगभग दो घंटे तक श्रद्धालुओं से आध्यात्मिक विषयों पर संवाद करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस आयोजन के दौरान धीरेंद्र शास्त्री का अलग से दरबार नहीं लगेगा। प्रशासन की ओर से उनके कार्यक्रम को लेकर अनुमति भी मिल चुकी है।
प्रमुख संतों की गरिमामयी उपस्थिति
कार्यक्रम में कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर, अनिरुद्ध आचार्य, जया किशोरी और इंद्रेश उपाध्याय जैसे प्रसिद्ध संत भी भाग लेंगे। इस महाकुंभ की अध्यक्षता जगद्गुरु रामभद्राचार्य करेंगे। उन्होंने इसे मानवता और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बताते हुए, इसे एक आध्यात्मिक उत्सव की संज्ञा दी है।
परशुराम चिह्न के रूप में विशाल फरसा
अश्विनी चौबे ने बताया कि सुबह 7 बजे से यज्ञ की शुरुआत होगी, जिसमें 108 गांवों से लाए गए परशु (फरसे) स्थापित किए जाएंगे। गांधी मैदान में भगवान परशुराम के प्रतीक के रूप में एक विशाल फरसा भी स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा सुबह 9:30 बजे सामूहिक हनुमान चालीसा और परशुराम चालीसा का पाठ किया जाएगा, जिसका उद्देश्य विश्व शांति और भारत को विश्वगुरु बनाना है।
दिव्यांगों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधा
आयोजन स्थल पर वेद, पुराण, उपनिषद और रामायण पर आधारित ज्ञान सत्रों का आयोजन होगा। श्रद्धालुओं को प्रसाद के साथ-साथ रुद्राक्ष या तुलसी की माला भी भेंट की जाएगी। दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं ताकि उन्हें किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। प्रवेश नि:शुल्क होगा, लेकिन 10,000 विशेष पास जारी किए जाएंगे, जो दिव्यांग, वृद्ध और महिलाओं को प्राथमिकता के आधार पर वितरित किए जाएंगे।
अश्विनी चौबे ने कहा कि यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं बल्कि एक राष्ट्र जागरण का सांस्कृतिक यज्ञ है। इसमें युवाओं, शिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया गया है। उन्होंने कहा, “‘परशुराम की प्रतीक्षा’ किसी एक व्यक्ति की नहीं बल्कि एक ऐसी चेतना की प्रतीक है जो अन्याय के विरुद्ध खड़ी होती है।”
जन-जन का समर्थन, संस्कृति का नवोदय
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों से भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। अश्विनी चौबे ने स्वयं रथ यात्रा के माध्यम से गांव-गांव जाकर लोगों को आमंत्रित किया है। प्रशासन की ओर से सुरक्षा और सभी व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दे दिया गया है। चौबे ने इसे भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया है।