किसानों के लाभ के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाने की जरूरत: आरसीपी सिंह
केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह ने जीरो बजट से होने वाली प्राकृतिक खेती पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी का उद्बोधन सुनने के बाद कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के आहवान पर प्राकृतिक खेती को देश में एक जन-आंदोलन बनाने के लिए बिहार में असीम संभावनाएं हैं. हिमाचल प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश के लाखों किसान प्राकृतिक खेती कर रहे है. गुजरात के डांग जिला को पूर्ण रूप से प्राकृतिक खेती जिला घोषित किया गया है. किसानों के लाभ के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाने की जरूरत है.
आगे आरसीपी सिंह ने कहा कि, मैं खुद अपने गांव में अपनी धरती पर प्राकृतिक खेती करना शुरू करूंगा. मुझे गुजरात के राज्यपाल आचार्य देव व्रत से अहमदाबाद में हुई मुलाकात में प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त हुई थी. प्राकृतिक खेती मेरी भी रुचि का विषय रहा है जिसे अब सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है यह एक ऐतिहासिक पहल है. इतना ही नहीं स्वस्थ धरती, स्वस्थ जीवन और आत्मनिर्भर कृषि के लिए प्रधानमंत्री मोदी का किसानों को आह्वान उनके दूरदर्शी और समग्र दृष्टिकोण का द्योतक है. आरसीपी सिंह ने युवा पीढ़ी को आगे आ कर इस परंपरागत ज्ञान के जमीनी उपयोग से जुड़ने को कहा.
आगे उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में किसानों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से जीरो बजट प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. यह उनके किसान प्रेम का प्रमाण है कि वो आने वाले 25 वर्षों में कृषि की आवश्यकताओं और चुनौतियों के अनुसार स्वयं को ढालने के लिए सभी को प्रोत्साहित कर रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में अलग-अलग पहलों द्वारा किसान की आय को बढ़ाने के सरकार के प्रयास निश्चय ही प्रभावशाली हैं. उन्होंने सही कहा कि किसानों को संसाधन और पसंद के विकल्प देने के साथ-साथ, मिटटी-पानी का संरक्षण भी बहुत जरूरी है जिसमे प्राकृतिक खेती बहुत लाभकारी होगी. इससे आयात में भी कमी आएगी और स्वास्थ्य पर भी अनुकूल प्रभाव होगा. खेती को रसायन लैब से हटा कर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना, लैब से जमीन तक लाना, वस्तुतः समय की मांग है. कम लागत, ज्यादा मुनाफा सभी किसानों के हित में है.
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