अगर आप भी नाभि खिसकने की समस्या से परेशान हैं, तो इन योगासनों की मदद से कर सकते हैं ठीक : जगदीश सिंह
भारी वजन उठाने, ऊंची जगह से कूदने, तेज दौड़ने, मानसिक तनाव और अचानक झुकने की वजह से कई बार नाभि खिसकने की समस्या हो जाती है। यह एक पीड़ादायक समस्या है। इसमें नाभि के स्थान पर नाड़ी ऊपर या नीचे खिसक जाती है। इस दौरान पेट में दर्द, दस्त, शरीर में कमजोरी होना बेहद आम है। इतना ही नहीं नाभि खिसकने पर घबराहट और जी मिचलाने की समस्या भी होती है। लंबे समय तक अगर नाभि खिसकने की समस्या रहती है, तो इससे कई दूसरी तरह की समस्याएं जन्म ले लेती हैं। इसमें बीपी, अनिद्रा, तनाव, कब्ज और लिवर सिरोसिस शामिल हैं। ऐसे में इसे समय पर ठीक करना बेहद जरूर होता है। अगर आप भी नाभि खिसकने की समस्या से परेशान हैं, तो झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय अंतर्गत आयुष विभाग के योग इंस्ट्रक्टर जगदीश सिंह द्वारा सुझाये गये कुछ योगासनों की मदद से इसे ठीक कर सकते हैं।
नौकासन
प्रारम्भिक स्थिति में लेट जायें, हथेलियाँ जमीन पर रहें।
गहरी श्वास लेते हुए पैरों, भुजाओं, कन्चों, सिर और धड़ को जमीन से ऊपर उठायें। कन्धों और पैरों को जमीन से 15 सेन्टीमीटर से अधिक ऊपर न उठायें। शरीर को नितम्बों पर संतुलित करें और मेरुदण्ड को सीधा रखें।
दृष्टि पैरों की उँगलियो को ओर रहे।
अन्तिम अवस्था में रहते हुए श्वास रोकें।
श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे जमीन पर वापस आ जायें।
यह एक चक्र हुआ। इस तरह 3 से 5 चक्र का अभ्यास करें। प्रत्येक चक्र के बाद शवासन में लेट कर विश्राम करें।
उत्तानपादासन
अल्सर एवं हर्निया से ग्रस्त व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
जमीन पर आराम से लेट जाएं, पैरों की स्थिति सीधी हो और हाथों को बगल में रखें।
श्वास लेते हुए घुटनों को बिना मोड़े धीरे-धीरे अपने दोनों पैरों को ऊपर उठाएं और जमीन से 30 डिग्री का कोण बनाएं।
श्वास को रोकते हुए इस अवस्था में 10-30 सेकेंड तक बने रहें।
श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपने दोनों पैरों को नीचे लाएं और जमीन पर रखें।
इसके बाद उसी प्रकिया से पैरों को 60 डिग्री तक उठाए है।
इसे भी तीन बार करें।
अर्धहलासन
पीठ के बल लेट जाएं, दोनों हाथ शरीर के बगल में रखें और हथेलियां जमीन पर हों।
श्वास भरते हुए घुटनों को बिना मोड़े धीरे-धीरे अपने दोनों पैरों को ऊपर उठाएं और जमीन से 90 डिग्री का कोण बनाएं।
इस अवस्था में नितंब से कंधे की स्थिति खींची हुई रहेगी।
श्वास को रोकते हुए इस अवस्था में 10-30 सेकेंड तक बने रहें।
अपने पैरों को 90 डिग्री की स्थिति से धीरे-धीरे वापस जमीन पर लाएं।
अर्ध पवनमुक्तासन
इसे करने के लिए श्वास लेते हुए
बाएं पैर को मोड़ते हुए सीने की तरफ ले आएं। दोनों हाथों से इसे पकड़ें। श्वास छोड़ते हुए वापस उसे स्थिति में आए
फिर दाएं पैर से यही क्रिया दोहराएं।
ऐसा आपको कम से कम 3 या 5 बार करना है।
सुप्त उद्राकर्षण (मर्कट आसन)
इसे करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं। अपने दोनो घुटनों को मोड़ लें।
अब श्वास छोड़ते हुए दोनों पैरों को एक साथ दाईं ओर जमीन की तरफ ले जाएं और सिर को बाईं ओर मोड़ें और फिर श्वास लेते हुए वापस उसी स्थिति में आए
इसी प्रक्रिया को दूसरी तरफ से भी दोहराएं
सेतुबंधासन
सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। अपने दोनो पैरों को घुटनों से मोड़ लें।
दोनो हाथों से दोनो टखने को पकड़ लें।
श्वास लेते हुए धीरे-धीरे शरीर के बीच वाले हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं और श्वास को रोके।
जितनी देर इस स्थिति में रूक सकते हैं, रूकें फिर धीरे से श्वास छोड़ते हुए
वापस आ जाएं।
सुप्त व्रजासन
व्रजासन में बैठ जाएं।
अब धीरे-धीरे हाथों को पीछे ले जाते हुए कोहनी को जमीन पर रखते हुए 5-10 सेकेंड होल्ड करें।
अब कंधे ओर सिर को जमीन पर टिका दें।
जितनी देर होल्ड कर सकते हैं उतनी देर करें फिर पैरों को सीधा कर लें।
स्फिन्क्स आसनं
जमीन पर पेट के बल लेट जायें, ललाट जमीन पर टिका रहे। दोनों पैर सीधे और पंजे आपस में मिले हुए तथा पैरों के तलवें ऊपर की ओर रहें। भुजाओं को मोड़कर सिर के दोनों ओर इस प्रकार रखें कि कोहनियों से नीचे का भाग जमीन पर और हथेलियाँ नीचे की ओर रहें। हाथों की उलियों सामने की ओर, सिर के समानान्तर रहें। भुजाओं का अग्र भाग और कोहनियाँ शरीर के निकट रहें।
भुजाओं के ऊपरी भाग को लम्बवत् स्थिति में लाते हुए सिर, कन्धों और वक्ष को, ऊपर उठाये।
कोहनियाँ, भुजाओं का अग्र भाग और हथेलियों जमीन पर ही रहेंगी।
इसी स्थिति में जितनी देर आरामपूर्वक रह सकें, रहें और फिर धीरे से शरीर को नीचे ले आयें।
यह एक चक्र हुआ।
भुजंगासन
पेट के बल लेट जाये, दोनों पैर सीधे और पंजे मिले हुए रहें, तथा तलवे ऊपर की ओर रहे। हथेलियों को जमीन पर कंधों के नीचे थोड़ा सा बाहर की ओर रखें। उँगलियाँ एक साथ और सामने की ओर रहें।
भुजाओं को इस प्रकार रखें कि कोहनियाँ पीछे की ओर तथा बगल का स्पर्श करती हुई रहें।
श्वास लेते हुए धीरे-धीरे सिर, गर्दन तथा कंधों को ऊपर उठायें। कोहनियों को सीधा करते हुए धड़ को जितना हो सके ऊपर उठायें।
सिर को धीरे-से पीछे की ओर झुकायें,
श्वास छोड़ते हुए वापस आए
यह एक चक्र हुआ।
मकरासन
मकरासन करने से खिसकी हुई नाभि की समस्या को ठीक किया जा सकता है। इसके नियमित अभ्यास से इससे छुटकारा मिल सकता है। इसके साथ ही मकरासन करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। कमर दर्द के लिए भी यह एक बेहतरीन योगासन है। इससे फेफड़े और पाचन तंत्र मजबूत बनता है। तनाव और चिंता को कम करने के लिए भी इस योगासन को किया जा सकता है। हाई ब्लड प्रेशर में इसे करना फायदेमंद होता है। साइटिका और स्लिप डिस्क के रोगियों के लिए मकरासन बेहद लाभकारी है। इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है।
मकरासन एक बहुत आसान योगासन है। इसे करने के लिए मैट या बिस्तर पर पेट के बल लेट जाएं।
अपने पैरों को एकदम सीधा रखें।
ठोड़ी को हथेलियों पर और कोहनियों का जमीन पर रखें।
इस दौरान आपके पेट पर दबाव पड़ेगा।
श्वास की गति को सामान्य रखें
कुछ देर तक इसी स्थिति में रहे और फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं।
नाभि और पाचन से जुड़ी परेशानी को दूर करने के लिए सुखासन कीजिए। सुखासन की मुद्रा में बैठने से लोअर एब्डॉमिन में ब्लड फ्लो ठीक होता है और पाचन से जुड़ी परेशानियां दूर होती है। सुखासन की मुद्रा में बैठने से किसी भी तरह के नस के खिंचाव से छुटकारा मिलता है। सुखासन करने से लोअर एब्डोमिन में ब्लड का फ्लो ठीक रहता है और पाचन दुरुस्त होता है।