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‘मौत की मशीन’, स्विट्जरलैंड में इच्छामृत्यु की मशीन को मिली कानूनी मंजूरी

 

इच्छा मृत्यु चाहने वालों के लिए स्विटजरलैंड ने ताबूत के आकार की एक मशीन को कानूनी मंजूरी दे दी है. इस मशीन के जरिए ऑक्सीजन का लेवल बहुत कम कर दिया जाता है जिससे 1 मिनट के अंदर मौत हो जाती है. इस मशीन को Sarco नाम दिया गया है. ये मशीन ऐसे मरीज जो गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं और जिनके बचने की उम्‍मीद नहीं है वो इस मशीन के जरिए मौत को गले लगा सकेंगे. हालांकि सरकार के इस फैसले पर लोग सवाल भी उठा रहे हैं. उनका कहना है, इस फैसले से आत्‍महत्‍या को बढ़ावा मिलेगा. इस सुसाइड पॉड को विकसित करने वाले ऑस्‍ट्रेलिया के नॉन-प्रॉफि‍ट संगठन एक्‍ज‍िट इंटरनेशनल के फाउंडर डॉ. फिलिप को लोग डॉ. डेथ के नाम से बुला रहे हैं.

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आपको बता दे कि इच्‍छामृत्‍यु का मतलब है अपनी मौत को गले लगाना. इसकी जरूरत तब पड़ती है जब जीवन मौत से भी ज्‍यादा तकलीफदेह हो जाता है. इच्‍छामृत्‍यु को अंग्रेजी में यूथनेशिया कहते हैं. इसे तैयार करने वाले संगठन एक्‍ज‍िट इंटरनेशनल का कहना है, हमनें सुसाइड पॉड के दो प्रोटोटाइप तैयार किए हैं. इसका नाम सारको रखा गया है. इसमें मरीज को लिटाया जाता है. इसके बाद एक बटन दबाया जाता है. ऐसा करने के बाद मशीन के अंदर नाइट्रोजन का लेवल बढ़ना शुरू हो जाता है और 20 सेकंड के अंदर ऑक्‍सीजन का लेवल 21 फीसदी से 1 फीसदी तक पहुंच जाता है. नतीजा, मरीज की 5 से 10 मिनट के अंदर मौत हो जाती है. 

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इतना ही नहीं सुसाइड पॉड को तैयार करने वाले संगठन एक्‍ज‍िट इंटरनेशनल के संस्‍थापक डॉ. फ‍िलिप कहते हैं, इस नई मशीन से इच्‍छामृत्‍यु मांगने वाला मरीज पैनिक नहीं होता. अब तक इच्‍छामृत्‍यु का तरीका अलग था. स्विटजरलैंड में 1300 लोगों को इच्‍छामृत्‍यु दी जा चुकी है. अब तक इच्‍छामृत्‍यु मांगने वाले मरीजों को लिक्विड सोडियम पेंटोबार्बिटल का इंजेक्‍शन दिया जाता था. इंजेक्‍शन देने के 2 से 5 मिनट बाद मरीज गहरी नींद में चला जाता था. इसके बाद कोमा में जाने के बाद मरीज की मौत हो जाती थी. वहीं इस मशीन की बात करे अगले साल तक ये मशीन उपलब्ध हो जाएगी. 

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